हफ्ते भर के अखबार मेज़ पर बिखरे पड़े थे। रोज़ टाईम ही कहाँ होता है इन्हें पढ़ने का। ग्यारह बजे लेकर बैठा... हफ्ते भर के अखबार मेज़ पर बिखरे पड़े थे। रोज़ टाईम ही कहाँ होता है इन्हें पढ़ने का। ...