प्रियतमा तू बांध गयी मुझको एक अनजाने भय और अनछुए स्नेह से, खैर तू जहाँ भी रहो खुश रहो।" प्रियतमा तू बांध गयी मुझको एक अनजाने भय और अनछुए स्नेह से, खैर तू जहाँ भी रहो खु...