आज मैं भी उन्हीं की तरह ढूंढ़ रहा हूँ एकांकीपन में जीवन की रफ्तार। आज मैं भी उन्हीं की तरह ढूंढ़ रहा हूँ एकांकीपन में जीवन की रफ्तार।
आज फिर थके मन से सुधा अपने घर के बाहर ब छोटे से बगीचे में चहलकदमी कर रही थी। घर के सभी आज फिर थके मन से सुधा अपने घर के बाहर ब छोटे से बगीचे में चहलकदमी कर रही थी। घर ...