वो क्यूट प्रोफेसर.....
वो क्यूट प्रोफेसर.....
सुबह सुबह अलार्म ने कबाब में हड्डी का काम किया बिना मन के मुझे उठा दिया मेरे हैंडसम मेरे क्रश से मैं मिलने ही वाली थी..... उफ्फ्फ ये सुबह भी हमारी दुश्मन है.... यूँ बड़बड़ाते हुए मैं तैयार हो नाश्ता करने लगी ...मम्मा ने कहा बेटा आराम से ब्रेकफास्ट कर फिर जा कॉलेज और तुम्हारा रोज का क्या है ये इतनी देर से उठना बच्ची नही हो बचपना छोड़ो अपना.......
क्या मम्मा आप मम्मियों का रोज का लेक्चर रोज की सीख से मन भर गया आप बोर नही होती हो क्या?
आज प्रोफेसर ने भी क्लास में पहुचते ही कहा "बेटा ध्यान कहा है तुम्हारा अपने मार्क्स देखो".....यूँ तो ऐसा अक्सर होता था मेरे एवरेज मार्क्स का आना पर आज मेरे हैंडसम से हीरो ने मुझे बहुत डांटने के बाद घर वापस भेज दिया मम्मी ने हमेशा की तरह वही सीख दी....
आज मम्मा की बात व सीख मुझे पहली बार समझ आयी सुबह सुबह जल्दी उठकर प्रोफेसर का अटेंशन पाने के लिए अच्छे से पढ़कर गयी आंसर भी दिया पर उन्होंने कुछ नही कहा न ही पहले के जैसे स्माइल थी उनकी धीरे धीरे मैं टूट सी गयी थी आज यही लग रहा था कि मम्मा की सीख व बातो का ध्यान रखती तो सब खुश होते मेरे प्रोफेसर मुझसे खुश रहते ।।पहले उनसे नज़रे मिलाये बिन रहा नही जाता था या मैं कॉलेज ही इसीलिए आती थी,खैर अब उनसे नज़रे मेरी मिलते ही मैं शंर्मिन्दगी से सिर झुका चली जाती थी बहुत आत्मग्लानि से घुली जा रही थी ...
कुछ दिन बाद मैं क्लास अटेंड करना बंद कर दी प्रोफेसर ने सारी बाते मम्मी को बताई मम्मा ने कहा सर् वो कॉलेज तो अक्सर जाती है पर आपकी क्लास क्यों नही करती नही पता कई दिनों से मेरी हर बात मान रही मेरी हर सीख को तुरन्त अपना रही बहुत बदल गयी है आपको बेहद पसंद करती है ,ऐसा हो नही सकता आपसे न मिले या क्लास मिस करे
तब प्रोफेसर् ने अगले दिन ऑब्ज़र्व किया वो लाइब्रेरी में जाकर पूरे दिन बस पढती रहती है किसी भी बच्चो से कोई मतलब नही कोई पार्टी कोई सेलिब्रेशन नही चुप चाप सी खामोश रहती है.....
एकदिन अचानक से उसके कंधे पर किसीने स्नेहभरा हाथ रखा ...."बेटा क्या हुआ ? क्यों मायूस हो उदास हो ?आज क्लास नही करनी क्या" ..सौम्या ने बड़े शांत भाव से कहा "नही सर मन नही थोड़ा तबियत नही सही "......प्रोफेसर ने कहा "बेटा आज जरूरी है सबका क्लास में आना आपसबका रिजल्ट्स आना है कम फ़ास्ट सौम्या.....".
क्लास में पहुचते ही सबने एकसाथ उसे बर्थडे विश किया और प्रोफ़ेसर ने रिजल्ट घोषित किया....सौम्या का रिजल्ट टॉप वन पर था ,उसने रिजल्ट लिए और चल दी फिर से लाइब्रेरी किसी से कुछ नही कहा प्रोफेसर ने रोका पर वो रुकी नही आंखों में आँसू थे क्यों थे उसे भी पता नही.....
"आज उसे मम्मी की दी हुयी हर सीख याद आ रही थी"
आज मेरी लिखी (सौम्या सिंह)मेरे द्वारा लिखी बुक थी प्रोफेसर के हाथ में और वो जिस तरीके से प्यार से देख रहे थे जैसे हनुमान को श्री राम मिल गए हो...इसीलिए गुरु की महिमा में......
सब धरती कागद करू,
लेखनी सब बनराम।
सात समुद्र की मसि करू
गुरु गुण लिखा न जाय......
कोई भी सीख जरूरी नही की आप गुरु से ही लो ,पहली गुरु पहली शिक्षिका आपकी माँ होती है वो हर एक उम्र में आपको हर तरह की चीजें सिखाती हैं, एक दोस्त बन ,एक गर्लफ्रैंड बन एक डॉक्टर बन....माँ के रूप अनेक पूजे जिन्हें हर एक देव.............