Gusai Jinal

Children Stories

4  

Gusai Jinal

Children Stories

विश्वास की शक्ति

विश्वास की शक्ति

2 mins
411


      इंग्लैंड के एक पादरी का विश्वास की अध्यात्मिक शक्ति में अटल भरोसा था । जो कोई भी उनके घर में एक बार आ जाता वो उनके आथित्य और सत्कार के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था । उनके मन में लोगो के लिए अथाह प्रेमभाव था इसलिए लोग उनका बहुत सम्मान भी करते थे । एक दिन जेल से भागा हुआ चोर रात में शरण लेने के लिए इधर उधर घूम रहा था ।


उसने देखा कि पादरी के घर का दरवाजा खुला हुआ है इसलिए वो उस और चला गया और पादरी के घर में प्रवेश कर गया । पादरी ने उसे देखते ही उसका अभिवादन किया और उस से कहा ” तुम्हारा मेरे इस घर में स्वागत है मेरे भाई लेकिन तुम ये बताओ तुम कौन हो और यंहा क्या करने आये हो इस पर चोर ने सफेद झूट बोलते हुए कहा ” फादर मैं एक मुसाफिर हूँ और रास्ता भटक गया हूँ सो इधर उधर भटक रहा था और आपके घर का दरवाजा खुला हुआ देखा तो इस और चला आया । क्या मुझे सिर छुपाने के लिए जगह मिल सकती है मैं सुबह होते ही यंहा से चला जाऊंगा ।”


पादरी ने उस से कहा ” हाँ क्यों नहीं तुम यंहा आराम से रह सकते हो और मुझे लगता है तुम बहुत थक गये हो इसलिए तुम जाकर आराम से हाथ मुहं धो लो मैं तुम्हारे सोने और खाने का प्रबंध करता हूँ ।” इस पर चोर पादरी का आभार व्यक्त करते हुए स्नानघर की और बढ़ गया और इतने में पादरी ने उसके खाने और सोने की व्यवस्था कर दी । पादरी ने उसका बहुत अच्छे से आथित्य सत्कार किया और उसे अच्छा भोजन करवाकर उसके सोने की व्यवस्था कर दी ।


रात को सभी के सो जाने के बाद चोर के मन में चोरी की ईच्छा जागृत हुई और उसने पादरी के घर से सोने के दो दीपदान चुराकर वंहा से निकल भागा । रात में पुलिस उसकी तलाश में ही थी सो वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो पूछताछ में उसने बता दिया कि मैंने ये पादरी के घर से चुराए है इस पर उसे पादरी के सामने लाया गया तो पादरी ने पुलिस वालों से कहा “आप कृपया इन्हें छोड़ दीजिये ये मेरे घर में मेहमान के तौर पर आये थे और मैंने ये दीपदान इन्हें उपहार के तौर पर दिए है ।”


इतने में चोर के ज्ञानचक्षु खुल गये और उसे अपनी भूल का अहसास होने लगा । पादरी की उदारता देखते हुए चोर के मन में पश्चाताप होने लगा और उसने माफ़ी मांग कर कभी फिर से चोरी नहीं करने का वचन दिया ।



Rate this content
Log in