Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Anil shekhar

Others

4.3  

Anil shekhar

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तांत्रिक अघोरानंद- 1

तांत्रिक अघोरानंद- 1

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हमारे जीवन में अब निराशा भी घर करने लगी थी ! माला मुझसे ज्यादा दुखी रहती, मैं उसे समझाने की कोशिश करता ! लेकिन कभी-कभी खुद भी उदास हो जाता | जब विषाद और निराशा धीरे धीरे मानव को अंदर से काटना चालू करें तो वह धीरे धीरे गलता जाता है | अंदर ही अंदर बढती पीड़ा से उसकी काली आँखों के नीचे कालिमा छाने लगी | कमजोरी उसपर हावी होने लगी और एक दिन उसने बिस्तर पकड़ लिया | बड़े बड़े डॉक्टरों से इलाज कराया मगर हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली गयी | देह का रोग कोई पकड़ नहीं पा रहा था और मन का रोग लाइलाज होता चला गया |


सावन का महीना चल रहा था और अमावस्या का दिन था | मैं सुबह हाथ मुह धोकर बरामदे तक आया और सामने जो दृश्य दिखा उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी | मैंने देखा एक नागा साधु जो लगभग 6 फुट का था और हट्टे-कट्टे मजबूत बदन का मालिक है वह सामने खड़ा है | उसकी आंखों से तेज प्रवाहित हो रहा था | मैं आगे बढा और उस दिव्य साधू के सादर चरण स्पर्श किए |


साधु ने आशीर्वाद दिया और पूछा " भोग पूरा हो क्या ? पूरा हो गया हो तो अब योग की ओर चलें ? | मेरी समझ में कोई बात नहीं आई लेकिन न जाने किस भावना के वशीभूत मेरा सिर हां की सहमति में हिलाया |


बाबा ने हल्की हंसी के साथ मेरे सर पर हाथ फिराया और कहा "ठीक है ! यहां से तेरी यात्रा शुरू होगी ! विचलित मत होना ! बहुत ज्यादा उम्र बहू की नहीं बची है ! नियति को स्वीकार कर और अपने निर्धारित मार्ग पर आगे चल !" इतना कह बाबा तेजी से एक और निकल गए .......




मैं पागलों की तरह रात रात भर जागता...................

उस आनंद की तलाश करता जो मैंने उसके साथ महसूस किया था !


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