ananya kumari

Children Stories

4  

ananya kumari

Children Stories

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

2 mins
423


स्वामी विवेकानंद के बचपन की एक घटना है। तब उन्हें सभी नरेंद्र पुकारते थे। बचपन से ही उनमें असाधारण प्रतिभा थी। जब वह बात करते तो हर कोई ध्यानमग्न हो उन्हें सुनने लगता था। एक दिन स्कूल में नरेंद्र एक क्लास के ब्रेक के दौरान अपने दोस्तों से बात कर रहे थे। इस बीच शिक्षक क्लास में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन नरेंद्र की बातचीत सुन रहे छात्रों को कक्षा में शिक्षक के आने का जैसे पता ही नहीं चलावे उन्हें ही सुनते रहे। कुछ समय बाद शिक्षक को अहसास हुआ कि कक्षा के एक हिस्से में कुछ विद्यार्थी आपस में ही बातचीत कर रहे हैं। शिक्षक ने नाराजगी दिखाते हुए पूछा, ‘क्या चल रहा है ?’

जवाब न मिलने पर हरेक छात्र से पूछा, ‘बताओ अब तक मैंने क्या पढ़ाया है?’ कोई भी विद्यार्थी उत्तर न दे सका। लेकिन नरेंद्र अपने दोस्तों से बात करते हुए भी शिक्षक के व्याख्यान को सुन रहे थे और उसे ग्रहण भी कर रहे थे। अब उनकी बारी थी। शिक्षक ने जब उनसे वही सवाल पूछा तो उन्होंने उस विषय को शुरू से लेकर अंत तक बता दिया जिसे क्लास में शिक्षक ने अभी तक क्या-क्या समझाया था।शिक्षक उनके उत्तर से प्रभावित हुए, लेकिन अन्य छात्रों पर उनका गुस्सा बना रहा।

उन्होंने दोबारा उन लड़कों से पूछा, ‘जब मैं पढ़ा रहा था तब कौन-कौन बात कर रहा था?’ हर किसी ने नरेंद्र की ओर इशारा किया। लेकिन शिक्षक को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने नरेंद्र को छोड़कर उनके दोस्तों को बेंच पर खड़े होने की सजा सुना दी। पर अपने उन दोस्तों के साथ नरेंद्र भी खड़े हो गए। शिक्षक ने कहा, ‘नरेंद्र तुमने तो सही उत्तर दिया है। तुम बैठ जाओ।’ नरेंद्र ने कहा, ‘सर, सच यह है कि मैं ही इन लड़कों से बात कर रहा था।’ नरेंद्र की ईमानदारी और मेधा ने शिक्षक दंग रह गए।


Rate this content
Log in