साहस
साहस
मैं, जोकि बचपन में, घर की छिपकली से भी डरती थी, आज सांप से भी साहस के साथ टक्कर ले रही थी, ये साहस मेरा नहीं बल्कि ये साहस था एक माँ का.
मैं अपनी बच्ची (5 वर्ष) के साथ, एक अंधेरी सड़क पर खड़ी थी. स्थान घर के पास ही था, बरसात का मौसम था इसलिए जगह- जगह गड्ढे में पानी भरा था.
कुछ ही देर में, बच्ची ने कहा, " मम्मी! सांप... सांप "
मैंने देखा, सांप, बच्ची के पैरों पर घेरा बना रहा है और अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है. बिना समय लगाये मैंने बच्ची को झट से गोद में उठाया, सांप की पकड़ अभी तक बनी नहीं थी इसलिए वो हल्का सा छटपटाता हुआ इधर उधर हुआ।
मैंने भी आनन- फानन में बच्ची को गोद में लिए हुए दौड़ लगा दी.
आज एहसास हो रहा था कि संकट पड़ने पर माँ निडरता से कठिन से कठिन परिस्थितियों का साहस के साथ सामना कर सकती है।
