पुस्तक को उसके आवरण से ना आंके
पुस्तक को उसके आवरण से ना आंके
एक लड़का था, उसका नाम अशोक था। अशोक बहुत बुद्धिमान था, पर वह शरीर से मोटा भी था। यह है अशोक की कहानी। अशोक के विद्यालय का पहला दिन था, वह बहुत उत्साहित था। जब वह कक्षा में गया अशोक पर सब हँसने लगे। एक लड़की बोली, “ देखो! कितना मोटा है।” अशोक को बहुत बुरा लगा। अशोक अपने दोस्तों से मिलजुल कर रहने की कोशिश करता, लेकिन उसके दोस्तों ने मन बना लिया था कि वह उसका मजाक उड़ाएँगें । यहाँ अशोक ने भी मन बना लिया कि वह अब बहुत व्यायाम करेगा, कुछ महीनों बाद अशोक पतला होकर उसके कक्षा में गया तो सब उसे बोले, “अरे वाह! तुम तो बहुत ही सुंदर लग रहे हो। हमें माफ कर दो हमें इस बात की ईर्ष्या थी कि तुम बुद्धिमान हो इसलिए हम तुम्हें मोटा बोल रहे थे।” अशोक ने यह सुनकर उसे माफ कर दिया और कहा कि किसी भी पुस्तक को उसके आवरण से हमें नहीं आंकना चाहिए।