पुरानी शर्ट
पुरानी शर्ट
"बेटा, पापा जी को ऑफिस जाना है...जरा, अलमीरा में से पापा जी के कपड़े ला दो" ( मां, ने समृद्धि से कहा ) बिटिया ने कहे अनुसार अपनी पसंद के पेंट शर्ट चुने और कपड़े चुनते चुनते अचानक उसका मूड ऑफ हो गया। "क्यों क्या हुआ बेटा?" (मां, ने पूछा !) ...."कुछ नहीं, पापा जी की अलमारी में इतने अच्छे- अच्छे कपड़े है, मगर उन कपड़ों के बीच एक पुरानी बुशर्ट हमेशा मुँह चिढ़ाती नजर आती है। आप या तो किसी को दे दो या उसके बदले कोई बर्तन ले लो, मुझे लगता है एक तपेली तो आ ही जाएगी।"
बेटी के शब्द मध्यम स्वर में ही पूजा पर बैठे पिता के कानों में पड़े, पूजा समाप्त होते ही पिता ने बेटी के सिर पर हाथ फेरा और पुरानी शर्ट के रहस्य से पर्दा उठाया । "बेटा यह पुरानी शर्ट मुँह नही चिढ़ाती बल्कि मुझे उन दिनों की याद दिलाती है जब मेरे पास पहनने को कपड़े नहीं हुआ करते थे, एक दिन साक्षात्कार के लिए जाना था , तब विष्णु भैया ने उनकी शर्ट मुझे भेंट की थी यह वही शर्ट है जो मेरे बुरे वक्त की साक्षी है, इसलिए अब मैं हमेशा अपने साथ इसे प्रमुखता से रखता हूं।" पिता की बात सुनकर समृद्धि ने पुरानी शर्ट को स्पर्श कर मन ही मन माफी मांगते हुए आभार व्यक्त किया।