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SANDIP SINGH

Others

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SANDIP SINGH

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नूतन कल्पना)

नूतन कल्पना)

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कल्पना करूं _कल्पना करूं,

नित ही नूतन कल्पना करूं।

मनुज जन्म क्यों कर मिला है?

स्वयं को पहचानने का प्रयास करूं।


कल्पना करूं _कल्पना करूं,

एक दिव्य ज़िंदगी की कल्पना करूं।

जो चाहूं वो हो जाए,

जो मांगू वो मिल जाए।


कल्पना करूं _कल्पना करूं,

स्वर्ग की अवधारणा को सच करूं।

बुद्धि में प्रभु इतना प्रखरता दें दें,

सही को सही_गलत को गलत कहूं।


कल्पना करूं _कल्पना करूं,

रोगप्रतिरोधक क्षमता और बढ़े।

स्वस्थ्य शरीर और स्वस्थ मन का,

शक्ती कभी भी न्यून ना हों।


कल्पना करूं _कल्पना करूं,

दुनिया से दुःख का खात्मा हों।

सु:खों का सर्वदा ही राज रहे,

समस्त प्राणी आनंदमय में रहें।


कल्पना करूं_कल्पना करूं,

वसुन्धरा हमारी लहलहाते रहें।

सर्व घर सदा ही सुरभित रहें,

अम्बर से दुआओं की बारिश हों।



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