आशुतोष अनिभिज्ञ

Children Stories Fantasy

4  

आशुतोष अनिभिज्ञ

Children Stories Fantasy

निशाचरों की दुनियां

निशाचरों की दुनियां

4 mins
406


रीवा एक लड़की है जो एक गांव में रहती है. गांव उसका शहर से लगा हुआ है तथा शहर के एक स्कूल में वह पढ़ती है और वो स्कूल से अपने घर रोज पैदल जाती है तो रास्ते में एक बहुत पुरानी हवेली दिखाई देती है वह हमेशा उस हवेली के बारे में सोचती है कि यहां पर कौन रहता होगा यह किसकी हवेली है. कभी-कभी उसने मन में बहुत उत्सुकता जागृत हो जाती थी और  उसके अंदर हवेली के अंदर जाने की चाह पनपने लगी थी. ...

(हवेली का गेट बहुत पुराना और जेल की तरह बना था और उसके ऊपर बहुत ज्यादा जंग जाले और कुछ पुरानी घंटियां लटकी हुई थी जिसमें परियां बनी हुई थी)

एक दिन रीवा स्कूल से निकलकर उस हवेली के पास खड़ी हो जाती है और उस हवेली के गेट को पकड़कर अंदर देखने लगती है तभी।........

एक बूढ़े चाचा - "क्या देख रही हो यहां से जाओ घर जाओ जल्दी।जानती नहीं भूत रहते हैं हवेली में....."

रीवा - "भूत...... रीवा डर जाती है."

रीवा घर की तरफ भाग जाती है और मन में सोचती है की घंटियों में तो परिया बनी थी तो भूत कैसे रहते होंगे उसके अंदर .... अपने मन में कहती है कि कल मैं अंदर जाऊंगी छुपकर।

दूसरे दिन सुबह रीवा जल्दी तैयार हो जाती है और स्कूल के लिए निकल जाती है रास्ते में जब उसे हवेली दिखती है तब वह उसकी तरफ उंगली करके कहती हैं कि आज शाम को मैं अंदर आऊंगी और देखूंगी भूत कौन है यह कहकर स्कूल की तरफ निकल जाती है।...

रीवा की स्कूल की छुट्टी हो जाती है और वह हवेली के पास पहुंचती है और छुपकर हवेली के अंदर जाने की कोशिश करने लगती है तभी वह देखती है हवेली के गेट के पास एक छोटा गेट  है वह टूटा हुआ होता है.

रीवा किसी तरीके से उस टूटे गेट से हवेली के अंदर पहुंच जाती है उस हवेली के परिसर में बहुत सारी घास थी जो सूखी थी।और कई मरी हुई चिड़िया पड़ी हुई थी..... (कुछ चिड़िया जो उड़ कर उस हवेली के पास आ जाती थी यह उसके परिसर में आ रही थी यह गलती से ....आती थी वह वहाँ बैठते ही उनकी सांसे रुक जाती और वह तड़प तड़प कर मरने लगती थी।.....)

तभी रीवा हवेली के पास पहुंचकर खिड़की से अंदर देखती है अंदर हवेली पूरी खाली दिखाई देती है बस एक सोफा पुराना धूल वाला और एक कैंडल स्टैंड और सोफे पर उसे एक गुड़िया दिखाई देती है जो पारी की तरह होती है.अब रीवा को वह गुड़िया चाहिए और उसके मन में होता है कि काश उसे वह गुड़िया मिल जाती जिसके लिए वह हवेली के अंदर जाने की कोशिश करती है पर दरवाजा बंद होता है जिस कारण वह अंदर नहीं जा पाती तभी वह हवेली के पीछे जाती है जहां की खिड़की टूटी हुई उसे दिखती है और वह किसी तरीके उस खिड़की के सहारे अंदर चली जाती है.और रीवा चुपचाप उस गुड़िया को उठाकर हवेली से निकल आती है और बैग में उस गुड़िया को रखकर घर पहुंच जाती है.रात में खाने के बाद रीवा अपने कमरे में जाती है और उस गुड़िया से खेलने लगती है तभी रीवा की मां आती है.

माँ - "रीवा सो जाओ अब."

रीवा - "सो रही हूं माँ।"

रीवा गुड़िया को किनारे बेड में रखकर सो जाती है रीवा जहां सोती है तुरंत उसे ऐसा प्रतीत होता है की गुड़िया एक परी बन गई है और वह रीवा का हाथ पकड़कर एक बहुत बड़े दरवाजे के अंदर ले जा रही है. वहां पहुंचकर रीवा देखती है कि चारों ओर एक काला जंगल है उस जंगल के सभी पेड़ काले हैं जिसमें अजीब से काले फल लगे हुए हैं. वह जंगल बिल्कुल खाली पड़ा हुआ है. वहां पर पेड़ों के सिवा एक जीव तक दिखाई नहीं देता तभी रीवा परी की तरफ देखती है.

रीवा - "यह कहां आ गए हैं हम लोग।"

परी - "यह हमारी दुनिया है जो कभी बहुत खूबसूरत हुआ करती थी पर अब इस दुनिया में निशाचर आ गए हैं जो सपने में लोगों को मार देते हैं और उनकी आत्माओं को खा जाते हैं।"

रीवा - "निशाचर क्या होते हैं।"

परी - "निशाचर भूत की तरह दिखने वाले भयंकर जानवर होते हैं जो आत्माओं को खाते हैं और भगवान के द्वारा इनको श्राप दिया जाता है कि जाओ तुम लोग ना जिंदा रहोगे ना मरोगे।"

रीवा - "तुम्हारे घर वाले कहाँ है?"

परी - "मेरी बस एक बहन थी जो शायद अब निशाचर के कब्जे में है बाकी सभी लोगों को निशाचर ने मार दिया।"

रीवा - "तो तुम इतने दिनों से वहां पर कैसे पड़ी हुई थी गुड़िया बनकर।"

परी - "इस हवेली में जितने भी लोग रहते थे उनका निशाचर ने सपने में शिकार कर लिया और वह सभी लोग मर गए वहां पर एक लड़की थी जो तुम्हारी तरीके बहुत प्यारी थी उसने सपने में मेरा हाथ पकड़ कर मुझे इस दुनिया में ले आई जहां पर मैं गुड़िया बन कर तब से पड़ी हुई हूं।"

तभी बहुत बड़े एक निशाचर की परछाई उन दोनों के ऊपर से गुजरती है परी रीवा का हाथ पकड़कर एक पेड़ के पीछे छुप जाती है।

(अगली कड़ी में निशाचर की दुनिया के और राज उजागर होंगे तो इस कहानी को पढ़ें शेयर करें और बने रहे हमारे इस प्रतिलिपि के अंक के साथ।)



Rate this content
Log in

More hindi story from आशुतोष अनिभिज्ञ