Charumati Ramdas

Children Stories

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नीला अंगरखा

नीला अंगरखा

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(बेलारूसी परीकथा)

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 

एक था राजा-जादूगर. उसने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी : “जो भी मुझसे छुपने में कामयाब होगा, उसे मैं आधा राज्य दूँगा.”

निकल आया एक शौकीन – ‘नीला अंगरखा–बाएँ सिला’. आया राजा-जादूगर के पास.

बोला, “मैं ऐसे छुप सकता हूँ, कि तुम मुझे ढूँढ़ नहीं पाओगे.”  

“ठीक है,” राजा ने कहा, “अगर छुप गए, तो - आधा राज्य दे दूँगा, और अगर नहीं, तो – सिर काट दूँगा. दस्तख़त करो.”

नीला अंगरखा–बाएँ सिला’ दस्तख़त करके छुपने लगा. राजा के सामने एक बढ़िया नौजवान खड़ा था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. 

भागता रहा, भागता रहा – भागते हुए दूर के जादुई देस में पहुँच गया. उस राज्य में एक बड़ा – खूब बड़ा घास का मैदान था. वह उस मैदान में पहुँचा और तीन फूलों में बदल गया.

दूसरे दिन राजा उठा, उसने अपनी जादुई किताब में देखा और बोला:

“मेरे सामने बढ़िया नौजवान था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. भागते हुए दूर के जादुई देस में बड़े घास के मैदान में पहुँचा और तीन रंगबिरंगे फूलों में बदल गया.

राजा ने अपने सेवकों को बुलाया और उन्हें उस राज्य में जाकर घास के बड़े मैदान से तीन रंगबिरंगे फूलों को लाने का हुक्म दिया.

सेवक चल पड़े. पता नहीं कितनी देर चले, चलते-चलते घास के बड़े मैदान तक पहुँचे, उन फूलों को तोड़ा, उन्हें रूमाल में लपेटा और उन्हें अपने राजा को दे दिया.

“तो, नीला अंगरखा, क्या तू मुझसे छुप गया? नीला अंगरखा इन्सान बन गया और बोला:

“राजा, मुझे एक और बार छुपने की इजाज़त दे.”

राजा ने इजाज़त दे दी.

नीला अंगरखा-बाएँ सिला राजा के सामने बढ़िया नौजवान की तरह खड़ा था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. जब भागना है, तो भागना है – दूर के देस में, दूर के राज्य में पहुंचा. देखा, कि उस राज्य में ऐसी दलदल है, जिसमें ऊपर तो काई है, और उसके नीचे है तालाब. वह काई में घुस गया, पर्च-मछली में बदल गया, तालाब के बिल्कुल तल पर पहुँच गया और वहाँ बैठा रहा.

सुबह राजा उठा, उसने अपनी जादुई किताब में देखा और बोला:

“मेरे सामने बढ़िया नौजवान खड़ा था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. भागते हुए दूर के देस में, दूर के राज्य में पहुंचा. पर्च-मछली में बदल गया, और काई वाले तालाब में छुपकर बैठा है.”

राजा ने अपने सेवकों को दूर के राज्य में जाकर, काई वाली दलदल को साफ़ करके पर्च मछली को पकड़ने का हुक्म दिया.

सेवकों ने वैसा ही किया : दलदल साफ़ कर डाली, काई बाहर फेंक दी और पर्च मछली को पकड़ लिया. रूमाल में लपेटा, राजा के पास लाए.

“तो, नीला अंगरखा-बाएँ सिला, क्या तू दूसरी बार मुझसे छुपा?” राजा हँसने लगा.

नीला अंगरखा फ़िर से इन्सान बन गया और बोला:

“राजा, मुझे एक और बार छुपने की इजाज़त दे.”

राजा ने इजाज़त दे दी.

नीला अंगरखा राजा के सामने बढ़िया नौजवान के रूप में खड़ा था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. भागते हुए दूर के देस में, दूर के राज्य में पहुंचा. भागता रहा, भागता रहा – भागते-भागते दूर के राज्य में पहुँचा, जहाँ इतना घना शाहबलूत का पेड़ था, कि उसकी जडें ज़मीन में घुस गई थीं और शिखर आसमान छू रहा था. वह शाहबलूत में घुस गया, सुई में परिवर्तित हो गया, और छाल के नीचे चिपक गया और वहीं बैठा रहा. शाहबलूत पर आया पंछी नगाय, उसने सूंघ कर पहचान लिया कि छाल के नीचे इन्सान है, और पूछा:

“यहाँ कौन है?”

“मैं” नीले अंगरखे ने जवाब दिया.

“तू यहाँ क्यों आया है?”

“अरे, मैं राजा-जादूगर से छुपने के लिये आया हूँ, मगर कुछ हो ही नहीं रहा है.”

“क्या मैं तुम्हें छुपाऊँ?”

“छुपा ले, भले पंछी. ज़िंदगी भर तुझे दुआ देता रहूँगा.”

नगाय पंछी ने उसे एक पंख में बदल दिया, अपने पर के नीचे छुपाया, राज के महल में ले आया और सोए हुए राजा के सीने में छुपा दिया.

जैसे ही उजाला हुआ, राजा ने हाथ मुँह धोया, अपनी जादुई किताब में देखा और बोला:

““मेरे सामने बढ़िया नौजवान खड़ा था, वह आँगन में काले सेबल जैसा भागा, दरवाज़ों के नीचे से सफ़ेद एर्मिन की तरह रेंग गया, खेत में भूरे ख़रगोश की तरह लपका. भागते हुए दूर के देस में, दूर के राज्य में पहुंचा. वहाँ शाहबलूत का पेड़ है, जिसकी जडें धरती में और शिखर आसमान में है. वह छाल के नीचे गया और सुई बनकर वहाँ बैठा है.

राजा ने शाहबलूत को काटकर उसकी छोटी-छोटी लकड़ियाँ काटने और उन्हें जलाने का हुक्म दिया.

सेवकों ने वैसा ही किया, मगर नीला अंगरखा मिला ही नहीं. राजा के पास आये, बोले:

नीला अंगरखा नहीं है.”

“ऐसे कैसे नहीं है?” राजा को आश्चर्य हुआ. “ऐसा हो ही नहीं सकता!”

“नहीं है, मतलब नहीं है,” सेवकों ने जवाब दिया. राजा बाहर ड्योढ़ी में आया और पुकारने लगा:

नीला अंगरखा – बाएँ सिला, प्रकट हो जा!”

“अपने जनरलों को इकट्ठा कर”, नीले अंगरखे ने जवाब दिया, “तभी में आऊँगा.”

राजा ने नीले अंगरखे की आवाज़ सुनी, मगर वह समझ नहीं पाया कि वह कहाँ से आ रही है. वह गोल-गोल घूमता रहा, हर तरफ़ देखा, मगर नीला अंगरखा जैसे पानी में बह गया था.

कुछ भी नहीं किया जा सकता था, राजा ने अपने जनरलों को इकट्ठा किया. ड्योढ़ी में आया और फ़िर से पुकारने लगा:

नीला अंगरखा, सामने आ जा!”

“नहीं,” उसने नीले अंगरखे की आवाज़ सुनी, “पहले तू जनरलों के सामने मेरे नाम आधा राज्य लिख दे, तभी मैं आऊँगा. वर्ना तू धोखा देगा – मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ!”

राजा तो ऐसा नहीं चाहता था, मगर उसे आधा राज्य देना ही पड़ा. और जैसे ही उसने जनरलों के सामने इस हुक्मनामे पर अपनी शाही मुहर लगाई, तो उसने सीने के पीछे से एक हल्का पंख उड़ता हुआ आया और शानदार नौजवान में बदल गया.

“लो, मैं आ गया!” नीली अंगरखे ने कहा. उसने उस हुक्मनामे को लपक कर उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया. उस दिन से राजा ने छुपने का खेल छोड़ दिया.

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