vivek Mishra

Children Stories

4.3  

vivek Mishra

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नादान परिंदा

नादान परिंदा

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राजू के घर मां बाबूजी दादा-दादी छोटी बहन सब रहते हैं । राजू 10 साल का है और बड़ी बहन 12 साल की जिसका नाम पारूल है। राजू के कमरे में एक तोता कोने में घोंसला बनाकर रहता है। राजू उसका ख्याल रखता है। पर दादी को वह पसंद नहीं है। राजू रोज सुबह शाम उसे खाने को दाने डालता पानी रखता। और उससे खूब बातें करता। तोता भी राजू को बहुत प्यार करता है, उसे छोड़कर कहीं नहीं जाता है।

एक रोज राजू के मामा के घर से चिट्ठी आई, जिसमें उसके छोटे मामा की शादी में आने का सभी घर वालों से निवेदन किया गया था। तारीख थी, 16 जुलाई,। सभी लोग मामा के घर चले जाएंगे तो तोते का ख्याल कौन रखेगा यह सवाल राजू के मन में था। इसलिए तय तारीख में दादा दादी को छोड़कर सभी लोग मामा की शादी में गए। राजू दादी से तोते का ख्याल रखने को कह गया, क्योंकि तोता दादी को पसंद नहीं था। दादी ने हामी भर दी। दादी उसे रोजाना दाना पानी दे देती थी, पर उन्हें समय का ख्याल नहीं रहता था।

एक रोज दादी तोते को दाना देना भूल गई, तोता बहुत भूखा हो गया दोपहर होने तक जब तोते को कुछ खाने को नहीं मिला तो उसने किचन में जाकर दादी के बनाए भोजन को ही गिरा कर खाने की कोशिश करने लगा। बर्तनों की आवाज सुनकर दादी ने किचन में जाकर देखा तो कुछ खाना बिखर चुका था। दादी को गुस्सा आ गया, उन्होंने उसे भगा दिया और फिर पूरे दिन उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया। तोता भूखा प्यासा था।पर वह अब भी अपने नियत स्थान पर ही बैठा रहा, घर छोड़कर नहीं गया। उसी शाम दादी की तबीयत खराब हो गई। दादाजी ने उन्हें पास के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, दादी बेहोश बेड पर पड़ी थी। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे। कुछ घंटे के उपचार के बाद दादी की तबीयत में सुधार हुआ। दादी रात भर उसी अवस्था में सोई रही। दादाजी भी पास पड़ी बेंच पर लेट गए तो दादा जी की भी आंख लग गई। तोता दादी के बेड के पैताने हिस्से में रात भर बैठा रखवाली करता रहा। अस्पताल के सभी लोग उस तोते को देखकर हैरान थे। आखिर वह है तो एक पक्षी ही। सुबह करीब 4:00 बजे दादी की आंख खुली तो दादी ने उसे बेड पर बैठे पाया। तभी तोते ने शोर मचाकर दादाजी को जगा दिया। कुछ देर बाद सभी लोग उठ गए। दादी को सबने तोते के बारे में बताया कि वह किस तरह सारी रात आपकी रखवाली करता रहा। यह सुनकर दादी को अपने किए पर पछतावा हुआ और वह विस्मित भी थी कि आखिर एक पक्षी को अपने पराए का कैसे ज्ञान है। उन्होंने तोते से मन ही मन माफी मांगी। और उन्होंने ऐसा कभी भी दोबारा न करने की ठानी। दादी ठीक हो कर घर आ गई।अगले दिन सभी को दादी की खबर मिल चुकी थी। सभी लोग घर जल्दी ही वापस आ गए।सभी लोगो को जब तोते की कहनी के बारे में पता चला तो सब तोते की तारीफ करने लगे और साथ ही राजू की भी।तब से दादी तोते का पूरा ख्याल रखने लगी और राजू भी यह देख कर बहुत प्रसन्न हुआ।


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