Vimla Jain

Children Stories

4.3  

Vimla Jain

Children Stories

नादान बच्चे

नादान बच्चे

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बच्चे मन के बहुत सच्चे होते हैं मगर उनमें गहरी सोच नहीं होती है। अपना भला बुरा नहीं सोच पाते हैं, और किसी से गलत संगत में और किसी के बहलाने फूसलाने से वे कभी-कभी बहुत खतरनाक रस्ते चुन लेते हैं।इसी पर एक कहानी


सोनू मोनू बचपन के दोस्त थे। पास पास में ही घर था रहते भी साथ साथ ही थे।

दोस्ती बहुत गहरी थी ।स्कूल भी रोज साथ जाते दोनों ही अपने घर वालों के सपने और रोज पढ़ाई के लिए किट किट सबको पसंद नहीं करते थे। घर में कुछ काम नहीं करते थोड़ा आलसी थे सपने तो बड़े-बड़े देखते मगर सब कुछ कोई हाथ में लाकर दे दे। स्कूल में भी कुछ खास पढ़ाई नहीं करते। कुल मिलाकर दिनभर मटरगश्ती आवारागर्दी और उस पर डांट पड़े तो सामने जवाब देना । वही उनकी रोज की आदत पड़ चुकी थी।

एक दिन उनके गांव कोई चालबाज इंसान आया । उसने इस गांव से कुछ लड़कों को अपने साथ ले जाने का प्लान बना रखा था। जो उसको आगे कैरियर तरीके मदद कर सके। उसने उन दोनों बच्चों को घूमते हुए देखा। उन को फंसाने के लिए उसने उनको अपने पास बुला करके उनको मुंबई के बारे में बहुत अच्छा अच्छा बताया। तुम मेरे साथ चलोगे तो ऐसा होगा वैसा होगा तुम हीरो बन जाओगे। तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी तो ऐश करोगे । छोटे 10,11 साल के बच्चों को और क्या चाहिए । नादान से किसी के भी बहकावे में आने जैसे। और घरवालों से नाराज हो तो बाहर वाले की बातों में बहुत जल्दी आ जाते हैं ।

दोनों उन लोगों की बातों में आ गए । उस आदमी ने उनसे बोला शुरुआत में तुम को पैसा चाहिएगा थोड़ा। तो घर से पैसे लेकर निकलना ।उन्होंने बोला पैसे हम कैसे ले सकते हैं। हमको कौन देगा पैसे।उसके लिए तो हमको कहना पड़ेगा घर में। तो उस आदमी ने बोला तुम चोरी करके पैसे निकाल लेना।और फिर इतने टाइम दिया 9:00 बजे तुम मेरे को बस स्टैंड पर मिलना। दोनों में बुराई इतनी भी नहीं भरी थी छोटे बच्चे थे नादान थे, मगर बेईमान नहीं थे। उन्होंने बहुत सोचा फिर घर आकर अपने बड़े भाई से बात करी कि ऐसा ऐसा एक आदमी बोल रहा था।और पैसे चुरा कर ले जाने की बात कर रहा था । अब घर में कहना मत आप हमको पैसे दे दो हम जाते हैंमगर बड़ा भाई समझदार था उसने उनको बातों में अटका कर रखा।और अपने पिताजी को बता दिया उसके पिताजी नियत समय पर 9:00 बजे कुछ लोगों को लेकर बस स्टैंड पर पहुंच गए।

उधर वो उन दोनों लड़कों की इंतजार कर रहा था ।गांव में तो लोगों को पता लग जाता है कौन वह बाहर से आया है।

क्या है। उनको उसकी भेदी चालदेखकर पता लग गया कि यही आदमी बच्चों को उठाने आया होगा। उसके साथ में दो गांव के बच्चे और भी थे । पिताजी उनको पहचान गए और उनको बुलाया नीचे थोड़ी डांट लगाई। और बुलाकर कहा जाओ । साथ वाले लोगों को इशारा करा तो उस आदमी को पकड़ लिया। और पुलिस के हवाले करा ।

बाद में पता लगा की वह आदमी ऐसे गांव में जाकर जो बच्चे अपने मां बाप से नाराज हों और थोड़े छोटे हैं उनको बड़े बड़े ख्वाब दिखाकर बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाकर कैरियरबनाता था ।गलत कामों में धकेल देता था ।पुलिस को उस आदमी की बहुत तलाश थी। इस तरह से बड़े भाई की होशियारी से दो छोटे नादान से बच्चे गलत लोगों के साथ जाने से बच गए।और वह आदमी पकड़ा गया समय सूचकता और होशियारी दोनों ही काम लगे। उन दोनों बच्चों को उनके पिता ने बहुत प्यार से समझाया पढ़ाई का महत्व समझाया और क्यों डांट ने हुए समझाया और भविष्य में ऐसी गलती ना करें वह भी बताया वे दोनों बच्चे समझ गए इस तरह दो नादान से बच्चे अपनी जिंदगी में वापस पहुंच गए।



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