ramsingh rajput

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मनुष्य की विकास यात्रा

मनुष्य की विकास यात्रा

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कौन कहता है कि जमाना खराब है मैं कहेता हूँ कि जमाना बहुत अच्छा है lमुझे मेरे दादीजी  और

नानीजी बताते थे कि उनके जमाने में तो न स्कूल था, न अस्पताल था, न साईकिल थी, न मोटरसाइकिल थी l न कारें थी, न बसें थी, न जहाज थी,न हवाई जहाज थी lन बिजली थी, न टीवी थी, न मोबाइल था, न कम्प्युटर था lवे बैलों की मदद से रहट से कुंओं कापानी निकालते थे l

चकड़ों से माल को ढोने का कार्य करते थे l दादी चार बजे उठकरहाथ- घट्टी से सब के लिए

जौ का आटा पीसती थी l बीमारी में तो सिर्फ भगवान की कृपा के सिवायमौत से बचने का कोई 

विकल्प भी नहीं था l और बात करूँ आदिकाल की तोइंसान के पास

न कपडा था, न मकान l घुमक्कड़ जीवन जीता था, पेड़-पौधों की पत्तियों सेअपने तन को ढकता था lकंद- मूल खा करके पेट गुजारा करता था lपेड़ों पर ही रहता था,  इसलिए ही कहते भी हैऔर सुना भी होगा किअपने पूर्वज तो बन्दर थे l

लेकिन कहते है किआवश्यकता आविष्कार की जननी है lसबसे पहले उस आदिम मानव ने

आग का आविष्कार किया l फिर जानवरों के शिकार कोपकाकर खाने लगा lविकास की इसी कड़ी में उसने खेती करना सिखा lऔर उझड़े जंगलों को काटकरखेत बनाना शुरू किया lविकास के इसी क्रम में एक- दूसरे को समझने और सुख- दुःख में हाथ बटाने के लिएघर- बस्ती व गाँव बसाए lपरिवार- समाज और रिश्तें बनाए l इंसानियत के वास्ते धर्म की आधारशिला रखी lउसने पढ़ना- लिखना भी सिखा और तकनीकों का विकास किया lऔर सबसे बड़ी बात ये थी कि

सब संयुक्त परिवार में रहते थे lसब में प्रेम व दया का भरपूर भाव था l

कभी कोई आत्महत्या का तो विचार भी नहीं करता था lलेकिन आज की इसभौतिकवादी दौड़ ने स्वार्थ व संकीर्णताओं ने इंसान को इंसान का  दुश्मन बना दिया lआज इंसान अपने आपको

इंसान कहना भूल गया l बस सिर्फ़ हिन्दू- मुस्लिम याकोई अन्य बनकर रह गया lनेताओं के बहकावे में अपना अस्तित्व ही भूल गया l

नेकी- ईमानदारी और सच्चाई को त्यागकर संकीर्ण- स्वार्थी, ठग और लूटेरा, डाकू और गुंडा,  शराबी और ब्लातकारी, भ्रष्टाचारी और रिश्वतखोर, नक्सली और आतंकी 

बन रहा है lमंदिर - मस्जिद के लिए लड़ रहा है और माता - पिता को तोवृद्धाश्रम दिखा रहा है lफिर भी दोष सिर्फजमाने को दे रहा lपहले के लोग तो ठंडी रोटी खाते थे,तालाब का पानी पीते थे,लेकिन दारू - सिगरेट नहीं पीते थे,और गुटखा नहीं खाते थे,वे पूरे सौ साल जीते थे ।लेकिन आजकल के लोग पानी तो बिसलेरी का पी रहे, ऊपर से दारू- सिगरेट भी पी रहे, और साठ साल से ज्यादा जीने की उम्मीद भी नहीं कर रहे, फिर भी दोष जमाने को दे रहे lहर साल रावण को जला रहे, हर रोज नारी को सता रहे l

अपने आपको पूछो यारो अपना देश आगे बढ़ रहा किहम पीछे जा रहे? जवाब यही मिलेगा दोस्तों इंसान आगे बढ़ रहा इंसानियत पीछे छूट रही l



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