मीश्का को क्या पसंद है...
मीश्का को क्या पसंद है...
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
एक बार मैं और मीश्का उस हॉल में गए जहाँ म्यूज़िक की क्लास लगती है. बोरिस सेर्गेयेविच अपने पियानो पर बैठे थे और हौले-हौले कुछ बजा रहे थे. मैं और मीश्का खिड़की की सिल पर बैठ गए और हमने उन्हें ज़रा भी डिस्टर्ब नहीं किया; उन्होंने भी हमें नहीं देखा और बस, अपना बजाते रहे, उनकी उँगलियों के नीचे से अलग अलग तरह की आवाज़ें उछल-उछल कर बाहर आ रही थीं. वे चारों ओर फैल रही थीं, और कोई बहुत प्यारी सी, ख़ुशनुमा सी चीज़ पैदा हो रही थी. मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं काफ़ी देर तक इस तरह बैठ कर सुन सकता था, मगर बोरिस सेर्गेयेविच ने जल्दी ही बजाना बन्द कर दिया. उन्होंने पियानो का ढक्कन बन्द किया, और प्रसन्नता से बोले:
“ओह! ये कौन लोग हैं! बिल्कुल डाल पर दो चिड़ियों की तरह बैठे हैं! तो, बोलो, क्या हाल है?”
मैंने पूछा:
“ये आप क्या बजा रहे थे, बोरिस सेर्गेयेविच?”
उन्होंने जवाब दिया:
“ये शोपेन था. मुझे वह बहुत पसन्द है.”
मैंने कहा:
“बेशक, जब आप म्यूज़िक-टीचर हैं, तो आप अलग–अलग तरह के गाने पसन्द करेंगे ही.”
उन्होंने कहा:
“ये गाना नहीं है. हाँलाकि गाने मुझे अच्छे लगते हैं, मगर ये गाना नहीं था. जो मैं बजा रहा था, उसका एक बहुत बड़ा नाम है, न कि सिर्फ ‘गाना’.”
मैंने कहा:
“क्या? क्या नाम है?”
उन्होंने बड़ी संजीदगी से, बड़ी अच्छी तरह समझाया:
“म्यू-ज़ि-क. शोपेन – महान संगीतकार थे. उन्होंने म्यूज़िक की बड़ी शानदार रचनाएँ कीं. और मुझे दुनिया में सबसे ज़्यादा म्यूज़िक पसन्द है.”
अब उन्होंने ग़ौर से मेरी तरफ़ देखा और बोले:
“अच्छा, तुझे क्या अच्छा लगता है? दुनिया में सबसे ज़्यादा?”
मैंने जवाब दिया:
“मुझे कई सारी चीज़ें अच्छी लगती हैं.”और मैंने उन्हें बताया कि मुझे क्या क्या पसन्द है. कुत्ते के बारे में बताया, लकड़ी छीलने के बारे में बताया, छोटे से हाथी के बारे में, लाल घुड़सवारों के बारे में, लाल खुरों वाले छोटे से हिरन के बारे में, और प्राचीन योद्धाओं के बारे में, ठण्डे सितारों के बारे में, और घोड़ों के थोबड़ों के बारे में, सब, सब, सब बताया...
वे बड़े ध्यान से मेरी बात सुन रहे थे, जब वह सुन रहे थे तब उनके चेहरा सोच में डूबा था, और फिर उन्होंने कहा:
“ग्रेट! और मुझे मालूम ही नहीं था. ईमानदारी से कहूँ, तू अभी इतना छोटा है, तू बुरा मत मानना, मगर देख-तो- इत्ती सारी चीज़ें पसन्द करता है! पूरी दुनिया.”अब मीश्का भी बातचीत में शामिल हो गया. वह गाल फुलाकर कहने लगा:
“और मैं तो डेनिस्का से भी ज़्यादा अलग-अलग तरह की बहुत सारी चीज़ें पसन्द करता हूँ! ज़रा सोचिए!!”
बोरिस सेर्गेयेविच हँस पड़े:
“बड़ी दिलचस्प बात है! तो, चल, अपने दिल का राज़ खोल दे. अब तेरी बारी है, उठा टॉर्च! तो, हो जा शुरू! तुझे क्या पसन्द है?”मीश्का खिड़की की सिल पर थोड़ा कुलबुलाया, फिर वह थोड़ा खाँसा और बोला:
“मुझे रोल, बन, ब्रेड-लोफ़, और प्लम-केक पसन्द है! मुझे ब्रेड, और केक, और पेस्ट्री, और जिंजर-ब्रेड, चाहे तूला की हो, या शहद वाली, या आईसिंग वाली हो, पसन्द है.
“रिंग जैसे क्रैक्नेल भी अच्छे लगते हैं, और कुकीज़, और मीट, जैम, कैबेज और चावल भरी पेस्ट्रीज़ भी.
“मुझे समोसे बेहद हैं , ख़ासकर केक भरे, अगर वे ताज़े हैं; मगर बासे हों तो भी कोई बात नहीं. ओटमील्स और वैनिला बिस्किट्स भी चलते हैं.
“और, मछलियों में, मुझे स्प्रैट, साइरा, नमक लगी पेर्च, गोबि टमाटर सॉस के साथ, उथले पानी की मछली उसी के रस में, कैवियर चटनी के साथ, सब्ज़ियों के स्लाईस और फ्राइड पोटॅटो अच्छे लगते हैं.
“उबला हुआ सॉसेज बेहद पसन्द है, अगर ‘डॉक्टर्स्काया’ ब्रॅण्ड हो तो पूरा एक किलो खा जाऊँगा! ‘स्तोलोवाया’ भी पसन्द है. ये चीज़ें मुझे सबसे ज़्यादा पसन्द हैं.
“मक्खन के साथ मैकरोनी बहुत पसन्द है, वेर्मिसेली – मक्खन के साथ, चीज़...
“जैम बहुत अच्छा लगता है, जैम और दही, दही और नमक, मीठा दही, खट्टा दही; ऍपल्स पसन्द हैं, शक्कर में लिपटे हुए, वैसे सिर्फ ऍपल्स भी अच्छे लगते हैं, और अगर ऍपल्स साफ़ किए हुए हों, तो पहले ऍपल्स खाकर बाद ही में कुछ और खाता हूँ.
“बिस्किट्स, कटलेट्स, सूप, हैरिंग, हरी सब्ज़ियों का सूप, हरी मटर, बॉइल्ड मीट, स्क्रैम्बल्ड-एग्स, शक्कर, चाय, मिनरल वाटर, ब्रेड-बटर....
“हलवे के बारे में तो मैं कुछ कहूँगा ही नहीं – किस बेवकूफ़ को हलवा अच्छा नहीं लगता? आह, हाँ! आईस्क्रीम तो बेहद पसन्द है. सात कोपेक वाली, तेरह, पन्द्रह, उन्नीस, बाईस और अठ्ठाईस कोपेक वाली...सभी पसन्द है.”
मीश्का गोल-गोल आँखें घुमाते हुए छत की ओर देखे जा रहा था और गहरी—गहरी साँस ले रहा था. ज़ाहिर था कि वह खूब थक गया है. मगर बोरिस सेर्गेयेविच उसकी ओर ध्यान से देखे जा रहे थे, और वह बोलता रहा.
आख़िरकार वह एक गहरी साँस लेकर ख़ामोश हो गया. उसकी आँखों से पता चल रहा था कि अब वह इंतज़ार कर रहा है कि कैसे बोरिस सेर्गेयेविच उसकी तारीफ़ करेंगे. मगर उन्होंने कुछ अप्रसन्नता से और कुछ सख़्ती से मीश्का की ओर देखा. जैसे कि वो भी मीश्का से कुछ और सुनना चाहते थे : क्या मीश्का को कुछ और बताना है. मगर मीश्का चुप था. ऐसा लग रहा था कि उन दोनों को ही एक दूसरे से किसी बात की उम्मीद थी, और इस उम्मीद में वे ख़ामोश थे.
ख़ामोशी को तोड़ा बोरिस सेर्गेयेविच ने.
“तो, मीश्का,” उन्होंने कहा, “तुझे बहुत सारी चीज़ें पसन्द हैं, बहस की कोई बात ही नहीं है, मगर वो सब कुछ एक जैसा है, बस खाने-पीने की चीज़ें ही हैं. ऐसा लगता है कि तुझे बस ‘फूड-वर्ल्ड’ ही पसन्द है. और बस, इतना ही...और लोग? तुम किसे प्यार करते हो? या फिर कोई जानवर?”
अब मीश्का थरथरा गया और लाल हो गया.
“ओय,” उसने झेंपते हुए कहा, “देखिए, मैं तो भूल ही गया था! और मुझे पसन्द हैं – बिल्ली के पिल्ले! और दादी!”