STORYMIRROR

Ramvir Singh

Others

4  

Ramvir Singh

Others

मेरी सपनों की सबसे अच्छी दोस्त

मेरी सपनों की सबसे अच्छी दोस्त

2 mins
5


कभी-कभी शाम को, जब सब अपने-अपने काम में व्यस्त होते हैं, मैं अकेले बैठकर सोचने लगती हूँ। तब मन में एक ही ख्याल आता है — काश मेरी भी कोई सबसे अच्छी दोस्त होती।

मैं किसी परफ़ेक्ट दोस्त की बात नहीं कर रही। बस ऐसी दोस्त, जो मुझे बदलने की कोशिश न करे। जो ये न कहे कि तुम्हें ऐसा होना चाहिए या वैसा होना चाहिए। जो मुझे जैसी हूँ, वैसे ही रहने दे।

मैं अक्सर अपने सपनों के बारे में सोचती हूँ। उन्हें किसी से कहने से डर लगता है, क्योंकि ज़्यादातर लोग हँस देते हैं। मेरी सपनों की दोस्त ऐसी होती जो हँसती नहीं। वो बस सुनती और कहती, “अगर तुम्हारा मन है, तो कोशिश करो।” इतना कहना ही मेरे लिए बहुत होता।

उसे आज़ादी पसंद होती। वो ये समझती कि हर दिन मिलना  बात करना ज़रूरी नहीं होता। कभी-कभी अपने काम, अपनी दुनिया में रहना भी ठीक होता है। दूरी आने से रिश्ता कमज़ोर नहीं पड़ता, अगर भरोसा हो।

कुछ दिन ऐसे भी होते हैं जब मेरा मन बिल्कुल चुप हो जाता है। मैं किसी से कुछ कह नहीं पाती। उस वक्त मेरी दोस्त सवालों की लाइन नहीं लगाती। वो बस पास आकर बैठ जाती। बिना कुछ बोले। अजीब बात ये है कि उस ख़ामोशी में भी मुझे सुकून मिल जाता।

मेरी सपनों की दोस्त मुझसे जलती नहीं। मेरी खुशियों में खुश होती है और मेरे दुख को छोटा नहीं समझती और कोई तुलना नहीं करती। अगर मुझसे कोई गलती हो जाए, तो वो पीठ पीछे कुछ और और सामने कुछ और नहीं होती।

वो रंग रूप का फर्क न करे ,जिसे अमीर गरीब से कोई फर्क नहीं परे , किसी को किस के धर्म से उस में में फर्क न करे ऐसी हो वो। किसी की परेशानी को देख कर इसी हंसे नहीं उसकी मदद करे। मैं ये नहीं चाहती कि गलत में भी बो मेरा साथ दे बल्कि मुझे प्यार से समझाए पर हां जहां मैं सही हूँ, वहां पर मेरा साथ दे और मेरे साथ हमेशा रहे कभी मेरा साथ न छोड़े ऐसी ही वो।

मुझे पता है, ऐसी दोस्त हर किसी को नहीं मिलती। शायद मुझे भी कभी न मिले। लेकिन उसके बारे में सोचना अच्छा लगता है। क्योंकि उस ख्याल से ही मुझे ये एहसास होता है कि मैं जैसी हूँ, वैसी गलत नहीं हूँ।


Rate this content
Log in