ABHISHEK KUMAR

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4.3  

ABHISHEK KUMAR

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मेरी माँ

मेरी माँ

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अपने अंतर्मन की पीड़ा

किसी से कह नहीं पाता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

सुबह डाँटकर अब मुझको

कोई नहीं उठाता है,

खाने का दो निवाला प्यार से

कोई नहीं खिलाता है।

तेरी ही तस्वीर देखकर

तुझसे बाते करता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

तेरी बीमारी ने हमको

इतना था मजबूर किया,

एक माँ से उसके बच्चों को

क्षण भर में था दूर किया।

तुझे लिपटकर चूम न सका

यही मलाल अब करता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

तेरी हालत देखकर जब माँ

रातों को मैं रोता था,

मुझको रोता देखकर तब माँ

तुझको भी दुःख होता था।

आज इन्हीं अश्कों की खातिर

आजा तुझे बुलाता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

बिन तेरे माँ रातों को मुझको

नींद कभी नहीं आती थी,

जहाँ कहीं तू जाने लगती

मुझको संग ले जाती थी।

आजा मुझे भी संग तू ले चल

इंतज़ार मैं करता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

जिनके लिए तू तरस रही थी

उनको ना तू देख सकी,

कहना तुझे बहुत कुछ था पर

तू ना कुछ भी बोल सकी।

कैसे तेरी साँस थमी माँ

सोचकर मैं डर जाता हूँ,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।

 

अंत समय में जब तू सजकर

जाने को तैयार हुई,

देखकर तुझको ऐसा लगा तब

अब तू हमसे दूर हुई।

सबसे लड़कर रोक लूँ तुझको

मेरा मन ये कहता था,

माँ तुझको बस याद मैं करके

आँसू रोज़ बहाता हूँ।


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