मैं हूँ मिस्टर चश्मा
मैं हूँ मिस्टर चश्मा
दोस्तों, क्या तुम मुझे जानते हो, मैं कौन हूँ? मैं वह हूँ जिसको पहनने पर सब स्पष्ट दिखाई देता है। हाँ, मेरा नाम मिस्टर चश्मा है।
मैं नमन जी जैसे लोगों की बहुत मदद करता हूँ। पता है, मैं उनके नाक के सिंहासन पर विराजमान होता हूँ। उनके कान पर लटक कर बहुत मस्त लगता हूँ। मस्त से याद आया, मेरा एक भाई है। उसका नाम मस्तीलाल है। पर उसको सब सिर्फ धूप में ही पहनते है।एकदम फिल्म के अभिनेता जैसा है। सब देखते ही उसके पीछे पड़ जाते है। उसके बारे में बात करने से मेरे अंदर ईर्ष्या पैदा होती है।
मैं कमज़ोर आँखें वालों का अच्छा मित्र हूँ। मैं उनके लिए एक आईने की तरह हूँ जिससे वह सब कुछ साफ़ देख सकते है। वह भी मित्र की तरह मेरा ख्याल रखते है। दिन में दो तीन बार पानी से नहलाते है और फिर सावधानी से कपड़े से पोंछ देते है। रात को वह मुझे आराम से डिब्बे में बंद कर देते है। हम दोनों साथ ही साथ चलते है। बस नहाने और सोने के समय वह मुझे दूर कर देते है।
मैं सदैव ही रहूंगा अपने मित्रों की आँखों का सच्चा साथी।