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Naresh Uniyal

Children Stories Inspirational

4  

Naresh Uniyal

Children Stories Inspirational

माही और गुंजन परी

माही और गुंजन परी

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आठ वर्षीय माही थर्ड स्टेण्डर्ड में पढ़ रही थी। पढ़ने में होशियार, सर और मैम लोगों की प्रिय छात्रा थी वह। परीक्षा में अपनी कक्षा में सदैव सर्वोत्तम अंक लाती थी ।स्कूल से लेकर घर और स्कूल स्टॉफ से लेकर अड़ोस पड़ोस के सभी लोग बहुत प्यार करते थे माही को।

पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक चिंतक भी थी माही.. अपने आस-पास के माहौल और समाज में चल रही समसामयिक घटनाओं पर भी चिंतन चलता रहता था उसका। आजकल माही कोरोना को लेकर बहुत चिंतित थी, उसका अबोध मस्तिष्क सदैव ही इस खतरनाक बीमारी के निराकरण के बारे में सोचता रहता था।अपने पेरेंट्स, टीचर्स और अन्य बड़ों से वह इस बारे में निरंतर प्रश्न पूछती रहती थी, किन्तु उसकी जिज्ञासा का अन्त नहीं हो पाता था।

उस रात खाना खाने के बाद माही अपने रूम पर स्टडी कर रही थी, पर आज उसका जी पढ़ने में नहीं लग रहा था,उसे जोर की नींद आ रही थी। अचानक माही ने देखा कि उसके विस्तर के आस-पास बहुत अधिक चमक फैल गई थी, बिल्कुल पूर्णिमा के चाँद की जैसी तेज चमक। माही ने देखा कि उसके सामने दूध की तरह शुभ्र वस्त्र पहने हुए, सुनहरे पंखों वाली और श्वेत केशराशि वाली एक महिला खड़ी थी। उसके मुख का आभामंडल वातावरण को प्रकाशित कर रहा था, उसके दाएं हाथ में सुनहरे रंग की एक छड़ थी। माही ने भोलेपन से पूछा, "ऑन्टी आप कौन हैं?"

"मेरा नाम गुंजन है माही.. और मैं ऑन्टी नहीं हूँ, गुंजन परी हूँ। मैं कहीं भी उड़कर जा सकती हूँ।" उस महिला ने कहा।

माही बोली - "गुंजन परी? और आप मेरा नाम कैसे जानती हैं?"

"मैं तो सब कुछ जानती हूँ माही..…परी ने कहा, मैं तो यह भी जानती हूँ कि आपको अपने लोगों और अपने समाज की चिन्ता है कि इन्हें कोरोना से कैसे बचाया जाये? सच कहा न?"

"जी.. आपने बिल्कुल सही कहा गुंजन परी। आप तो सब जानती हैं। प्लीज अब यह भी बता दीजिये कि यह समस्या कैसे खतम होगी दुनिया से?" माही ने पूछा परी से।

परी बोली, "माही मैं आपसे बहुत खुश हूँ, क्योंकि आपको सिर्फ अपनी ही चिन्ता नहीं है, समाज की भी चिन्ता करती हैं आप। यू आर अ ग्रेट गुड गर्ल।"

"थैंक यू गुंजन परी …प्लीज बताइये न कैसे.." बात पूरी नहीं हो पायी माही की।

परी ने बीच में ही कहा, "माही इस बीमारी से बचने का एक ही सर्वोत्तम इलाज है, सामाजिक दूरी, अर्थात् सोशियल डिस्टेंसिंग। किसी से मिलना जुलना नहीं, घर से बाहर निकलने की आवश्यकता नहीं.. यदि आवश्यक कार्यबस घर से बाहर जाना भी हो तो मुंह और नाक को मास्क से ढकें, लोगों से दूरी बनाकर रहें और सेनेटाइजर साथ रखें। बाहरी चीजों को छूना पड़े तो, फिर हाथों को सेनेटाइज कर दें, हर आधे घंटे में हाथों को साबुन या हैंडवाश से धोते रहें। खाँसते या छीँकते समय मुंह पर हाथ या रुमाल रखें। बस सावधानी में ही सुरक्षा है। इन्ही सावधानियों के प्रयोग से इस घातक बीमारी से बच सकते हैं। और हाँ... अब तो इस वायरस से बचने के लिए टीकाकरण भी हो रहा है। तुरन्त अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाकर कोविड के वेक्सीन का इंजेक्शन लगवा लें।"सारी बातें एक ही सांस में कह गई थीं गुंजन परी।

"बहुत बहुत धन्यवाद गुंजन परी.. आज आपने मेरी सभी जिज्ञासाओं का समाधान कर दिया। आप बहुत अच्छी हैं। मैंने सुना है कि आपका परीलोक बहुत ही खूबसूरत है? मुझे ले चलेंगी आप आपने साथ? माही ने पूछा।

"हाँ माही मैं आपको अपने साथ परीलोक घुमाने अवश्य ले चलूंगी, परन्तु किसी दूसरे दिन.. अभी मेरे जाने का समय हो रहा है। ओके बाय..!!"

"प्लीज गुंजन परी.. मुझे अभी ले चलो न अपने साथ... प्लीज.. प्लीज...!!" माही चिल्ला रही थी।

"माही! माही!! क्या हुआ बेटे? क्यों चिल्ला रही हो?"

माही की आँख खुली तो देखा माँ उसे जगा रही है। सुबह हो चुकी थी। माही समझ गई थी कि उसने सपने में गुंजन परी को देखा था। खैर जो भी था, माही को अपने प्रश्नों का उत्तर मिल गया था, उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे।



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