लस्ट भाग १
लस्ट भाग १
ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमे पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।
तो ये बात उस वक्त की है जब हम सब गर्मी की छुट्टियों में नानी के यहां हर साल की तरह इस साल भी गए. मुझे याद है मैं उस वक्त आठवी कक्षा में थी नानी के पड़ोसी यादव जी मामा और नानी के परिवार से बहुत क्लोज थे वैसे तो पूरा मोहल्ला ही मिल जुलकर रहता था सब के बच्चे मिलकर एक साथ खेलते, सच मे बचपन के वो दिन बड़े सुहाने थे ।
मेरी बेस्ट फ्रेंड थी खुशबू जो यादव अंकल की छोटी लड़की थी। उनका एक लड़का भी था जिसका नाम राहुल था राहुल भईया खुशबू से उमर में बड़े थे और वो यहां रहते भी नही थे पढ़ाई के सिलसिले में वो हमेशा बाहर ही रहते बारहवीं की एग्जाम्स खतम होने के बाद वो दिल्ली चले गए थे. वहां कॉलेज काफी अच्छे थे इसलिए वो वहीं चले गए. मिलने जुलने आते रहते थे इस बार एंट्रेंस एग्जाम होने के वजह से वो यहां नही आ पाए। खुशबू राहुल भईया से बहुत क्लोज थी उन्हे वो सब शेयर किया करती थी ।
एक दिन शाम का समय था हम सब बच्चे मिलकर ड्राइंग बना रहे थे मैं खुशबू के साथ ही हमेशा बैठा करती हम बाते कर ही रहे थे कि विकास भईया आए और सबके लिए समोसे लाए। विकास भईया खुशबू के घरके बगल वाले फ्लैट में रहते है वो भी उनके पड़ोसी ही हैं ।
विकास भईया हमसे काफी बड़े थे करीब २७ साल के । खुशबू के घर मे उन्हे काफी मानते थे और दोनो परिवार में भी काफी अच्छे संबंध थे ।एक दिन विकास भईया ने खुशबू को बुलाया आंटी ( विकास। की मां ) छत पर कपड़े सुखाने के लिए गई थी तो वहा उस वक्त बस विकास और खुशबू ही थे
विकास : "वो जो लड़की है न तुम्हारी स्कूल की निशा वो अच्छी नहीं है. "
खुशबू : "क्यू भइया क्या हुआ ? "
विकास : "आज मैं सब्जी लेने जा रहा था मार्केट, तो वहाँ वो भी दिखी कैसे कपड़े पहने थे उसने उसका पूरा शरीर झलक रहा था गोरा बदन बस एक पतला कपड़ा उसके बदन को ढके था । "
खुशबू : "जाने दो भईया वो पागल है चलो मैं चलती हु मुझे खेलने जाना है."
खुशबू को लगा की वो बड़े हैं और उसकी अच्छाई के लिए समझा रहे हैं तो उसने ये बात माइंड नही की नाही इस बारे में किसी को बताया ।
क्या सच् में विकास खुशबू को समझा रहा था