लघुकथा- तौहीन
लघुकथा- तौहीन
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एक सरकारी दफ्तर में मिश्रा जी एक क्लर्क से किसी बात को लेकर बहस कर रहे थे-"अरे भई, इतने छोटे से काम के आप पांच सौ रुपये मांग रहे हैं। यह काम तो सौ -पचास में निपट जाता है।"
क्लर्क ने मुंह में पान का बीड़ा ठूंसते हुए जवाब दिया,"यह डिस्ट्रक्ट हेड क्वार्टर है। यहां बड़े साहब छोटे -छोटे काम के ही दस से पन्द्रह हजार लेते हैं। अगर हम पचास रुपये में कोई काम करने लगे तो बड़े साहब की तौहीन नहीं होगी क्या? उनकी भी इज़्ज़त रखनी पड़ती है।