क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
सन 2020 में पूरा विश्व एक महामारी से गुजर रहा था ....कोई ऐसा नहीं था जिसने कुछ ना खोया हो । नव्या का परिवार भी इस दौर से गुजरा । तीन माह का लॉकडाउन लगा। इस बीच अपनों की खैर - खबर फोन पर लेते रहते..कुछ तो इस जहां से ही चले गए जिनके अंतिम दर्शन तक ना कर सके...कुछ बच्चों का जन्म हुआ ..जिन्हें देखने भी ना जा सके..।मन बहुत करता था परंतु महामारी कहीं चपेट में न ले ले इस डर से घर से बाहर न निकलते । जो सब्जी वाला घर के बाहर आ गया तो ले ली अन्यथा नहीं। लेकिन पता नहीं क्यों हमारे दिल को बहुत सुकून था कि चलो इस बहाने हम घर पर सब एक साथ तो हैँ ।घर में लूडो-कैरम खेलते और शाम होते ही सब छत पर चले जाते ।बैट -बॉल खेलते, रस्सी कूदते, नए कपड़े पहन कर फोटो खिंचवाते, हर वक्त नए नए व्यंजन बनाए जाते ...जो स्वादिष्ट लगते क्योंकि बाजार से तो कुछ आ ही नहीं सकता था । दिन ऐसे बीत रहे थे कि पता ही नहीं चला, कब 3 माह बीत गये । नव्या का ऑफिस खुल गया और उसकी बेटी का भी ...लेकिन तन्मय का नहीं । उनके ऑफिस वालों ने कहा-- अभी कुछ दिन और घर पर ही आराम करो । ऑफिस वालों के मना करने पर तन्मय टूट गए। तब नव्या ने उन्हें समझाया -- "अरे सारी जिंदगी काम ही किया है ...समझो इस बहाने कुछ आराम मिल जाएगा ।" कहकर नव्या हंँसती और तन्मय को भी हँसाती घर की जमा -पूंजी धीरे-धीरे खत्म हो रही थी लेकिन उसने हिम्मत ना हारी धीरे-धीरे जीवन पटरी पर लौटने लगा ...तन्मय नव्या को ऑफिस छोड़ने और लेने जाने लगे । नव्या को बुरा लगता जब कोई कहता कि भैया काम पर नहीं जाते ।
नव्या मना करती लेकिन उन्होंने अपना कर्तव्य नहीं छोड़ा। साल भर हो गया...उन्हें आज भी आस है कि एक दिन वो काम पर अवश्य जाएंगे ....35 साल की सर्विस की थी...सब कहते थे...फैक्ट्री उन्हीं के कंधों पर है...और आज स्थिति...।
हमने खोया जितना उससे ज्यादा पाया। इतने सालों में साथ रहकर भी हम एक दूसरे को समय नहीं दे पा रहे थे ...तीन माह में लगता है सारी कसर निकाल ली....प्यार, मनुहार, स्नेह ,गुस्सा सब कुछ...वह दिन याद बहुत आएंगे ...याद बहुत आएंगे... ।
