विश् आल

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4.5  

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केतन की बर्थडे पार्टी

केतन की बर्थडे पार्टी

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थके होने से नींद बड़ी अच्छी आई, इतनी अच्छी कि सुबह के ग्यारह बजे भी ऐसा लग रहा था, जैसे अभी तो पूरा दिन बाकी है और मैं इस दिन का पूरा लुत्फ लेने वाला हूँँ।

रोशनदान अभी भी परदे से ढका है, अभी भी सर पर तीन पहिए वाली चकरी जो हवा देती है बड़ी ही तेजी से घूम रहा है।

मैं आपको बोर नहीं करना चाहता सच में ,दरअसल, मैं पंखे की बात कर रहा था। जो अभी भी वैसा ही है जैसा मेने चालू किया हूँँआ था।

क्या बात है आज सब शांत है..शायद मैं ही जल्दी उठ गया हौऊ

अचानक से! हाथ मेरे सर पर आया.... उठो भी यार ..कितना सोना है ...आज कैंटीन नही जाना क्या?

राधे...!यार.. थोड़ा और! ...प्लीज़!

अन्ना आए थे अभी नीचे ...अम्मा भी आई थी। उनके यहां पार्टी है आज अन्ना के बच्चे (केतन) का बर्थ डे है ना आज?

मुझे कैसे पता होगा यार..?सोने दो ना थोड़ा और..!

नही अभी उठ जाओ.... यार बारह बजने वाले है !!!

बारह!!

जल्दी से आंखे खुल गई, पैर अपने आप भागने लग गए,..ब्रश उठाया ..सेविंग किट..और भी कुछ समान जो सुबह सुबह चाहिए होता है...जल्दी जल्दी नहाया ......और... डेढ़ बज गए।

खाने में क्या है?..मेने पूछा।

अभी तक तो कुछ नहीं ...अभी आओ और थोड़ा आटा गूंध दो रोटी बनाने के लिए ..!

तुम कब उठी?

अभी..आपसे 1 घंटे पहले..ही..ही ही..

इतना लेट कैसे आज? ...

आपसे से उतना ही पहले उठी हूँ...जितना मैं हमेशा करती हूँँ। है ना ? ..नही?

मेने मुंह बनाया..क्या यार? ठीक है।

मैं सिर्फ आटा लगाऊंगा!

तुम रोटी भी बनाओगे...

ठीक है ।आखिर ...तुम्हे तो मनमानी करनी होती है यार ..

विशु..यार सच में ..मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है ।

ठीक है डॉक्टर के पास चले?

...अरे! यार मैं तो भूल ही गई .. बताया था ना अन्ना आए थे ।।।उनके बेटे का बर्थ डे है आज...याद है?

नही ..मुझे नहीं पता यार ..पहले हम डॉक्टर के पास चलेंगे..बाकी सब बाद में , ओके।

ठीक है ..और एक बार फिर से बारिश होना शुरू ..माफ कीजिए मेने बताया नही..कल से तेज बारिश हो रही थी..जैसा मौसम विभाग ने बताया था लेकिन ..आज दोपहर तक तो खतम हों जाना था सब..परंतु अभी तक ..इसका कहर जारी है ।

 गौर तलब है की बारिश से इतना प्यार होंने के बावजूद में इसे कहर से संबोधित कर रहा हूँँ..सही में तो ..क्या है ना की अभी वक्त निकल गया है ना बारिश का और सर्दी वाले समय में बारिश का होना....शायद आप समझ गए ।

तो, कुल मिलाकर बाहर जाना नही हूँँआ और न ही गिफ्ट लाना और नही राधे को डॉक्टर को दिखाना हूँँआ।..कुछ नहीं हूँँआ।

बस मेंने आटा गूंधा चपाती बनाई ..

नही नही, सब्जी तो उसने ही बनाई...

और खा पीके बैठे थे ..बस कुछ लोग ऊपर नीचे आ जा रहे थे कभी कोई बारिश में ही बरसाती पहने कोई गुब्बारे ला रहा था कोई क्या ...कोई क्या...

आखिर, हमे तीन लोगों ने बुलाया था पार्टी में 

अन्ना , उनकी अम्मा , और उनकी बहन 

शायद बाकी लोग भी बुलाते ..लेकिन उनकी हिंदी इतनी कमजोर है ना की...शायद आप ना के बराबर ही समझिए।

शाम को लगभग सात बजे ..एक बार फिर से अन्ना ने याद दिलाया।

 बैया ...शाम को सात बजकर तीस मिनट पर पार्टी स्टार्ट हो जायेगी ..आप आएगा उधर..अन्ना ने कहा .. खाना भी उधर ही खाना है .. ओके?

पर , खाना वेज (शाकाहारी) तो होगा ना ? आप जानते है ना हम लोग नॉनवेज नही खाते?

 हां .. बैया समझ गया ...आप आवो..बस..!

ठीक है ..आप चलिए । हम जस्ट आ ही गए समझिए...

अब पहले तो आराम से बैठे थे पूरे दिन लुडो ..खेल के टाइम पास किया ..लेकिन अभी फिर से जल्दी...जल्दी ..


अच्छा यार मैं नही चलूंगी..मुझे इनका खान-पान अच्छा नही लगता मैं तो नही खा पाऊंगी वहा खाना । तुम ऐसा करो पहले पानी ले आओ और डस्टबिन भी डाल कर आना ।

 .अरे!..नही ..यार मैं क्या करूंगा फिर वहा ..अन्ना तो व्यस्त होंगे और बाकी लोगों की हिंदी .. तूझे पता है ना..मुझे बिल्कुल भी मजा नही आएगा.. मैं किस से बात करूंगा ?

ठीक है तुम जाके तो आओ पहले..तब तक मैं सोचती हूँँ। ठीक है।

मेंने एक हाथ में डस्टबिन उठाया और दूसरे में पानी की जो बड़ी बोतल होती है ( 15 लीटर वाली )..उसे ले गया । 

अभी तक हम लोगो को लग रहा था की पार्टी तो इनके घर पर होगी ...क्योंकि ..लगभग ज्यादातर लोग अपना बर्थडे ..अपने घर पर ही मानते है ..आप मेरे से ज्यादा बर्थडे पार्टियों में गए होंगे .. फिर भी शायद कुछ ही लोग होंगे जो अपना बर्थडे कही और मानते है । सही है ना?

अन्ना भी उन्ही लोगों में से थे शायद ... बाहर घर से दूर रोड पर एक बड़ा सा टेंट लगा है ..जिस के नीचे बड़ा सा स्टेज लगाया जा रहा है... लगभग ..पूरा ही हो गया होगा .।. बर्थडे पर भी स्टेज लगा रहे है कैमरा मैन भी खड़े है ।टेंट वाला जल्दी जल्दी हाथ चला रहा है ..वो कुछ ले जा रहे है और वो उसके साथ वाले को डाट रहा है ...या समझा रहा है...मुझे नही पता ।..बस इतना की वो गुस्से में था ..और शायद उससे जल्दी करने को कह रहा हो..या फिर उसने कोई गड़बड़ की हो तो भी ..होने को क्या हूँँआ ..ये मुझे नही पता.. 

खैर , मैं ये देखते देखते दुकान तक पहूँँंच गया ..जल्दी से डस्टबिन खाली किया बोतल भरवाई और जल्दी-जल्दी घर आया ... बाहर भीड़ बढ़ रही थी।

 राधे! ..राधे गेट खोल यार..

आई! ..बस एक मिनट...!

और उसका एक मिनट ...मेरे लिए ..यकीन मानिए 5 मिनट के बराबर तो होगा ही ,क्योंकि मेरे कंधे पर तो 15 लीटर की बोतल जो थी।

उसने लगभग 10 मिनट बाद गेट खोला ...

जल्दी आ जाओ और ड्रेस पहनो ..देखो..में कौनसी पहनू.?..जो तुम कहोगे वही पहनूंगी।

देख यार पहले तो तू मुझे ये बोतल..रखने दे पहले.. ठीक है। चल अभी .. तेरे मन जो आए वो पहन ले .. वैसे तेरा डर चला गया क्या ? ..वो खाने वाला?

अरे..! तुम भी तो वेज ही हो न ..जो तुम खाओगे ..मैं भी वही खा लूंगी यार..


और हां तुम गिफ्ट तो लाए नही ?

यार मुझे ..टाइम बहूँँत है ना ?

ठीक है ठीक है ..अभी बिगड़ो मत।

उसे पचास-पचास रुपए दे देंगे हम दोनो ..ठीक है ।। पैसे खुले तो है ??

हां ! मैं देखता हूँं। 

हां है मेरे पास।

ठीक है , ड्रेस पहनो अभी ।

.

लगभग शाम के 8 बजे हम लोग नीचे पहूँँचे।

अन्ना अपनी गोद में केतन को लिए हूँँए है उनकी मम्मी के हाथ में केतन की छोटी बहन(तेलुगु में चेल्ली) बैठी है और ये सब एक बड़ी कुर्सी पर स्टेज पर बैठे है।

केतन को फोटो नही खिंचवाना है, पर ये कहा रुकने वाले थे ..पूरा का पूरा फोटो शूट मंडली जो बैठी थी वहा ।

अब केतन ..ने केक काटने से पहले ही खाने का मन हूँँआ उसने अपनी मझली उंगली मोडी और सीधा गिटार के सुर छेड़ने में लग गया।..

अब ये कोनसी असली गिटार थी जिससे धुन निकलने वाली थी लेकिन केतन को इससे क्या.?.वो सच में जैसे गिटार बजा रहा हो ,अपना हाथ घुमा रहा था उस पर ,उसके पापा उसका एक हाथ पकड़ते ..केतन दूसरा रख देता ।

फोटो वाला..

चूड़...केतन..चूड़ केतन..केतन!!

चूड़ मतलब देखना होता है तेलुगु में।

लेकिन केतन माने ही नहीं ।।


और उसका बर्थडे भी है तो उसे .. मारना ... तो ...खैर बात छोड़िए..क्युकी ये तो नही होने वाला है ।राधे ने कहा।


देखते है ..लेकिन नजारा बड़ा ही मजेदार है , है ना? मैंने कहा।


फिर किसी ने कहा ..अत्तानिकी काटी इवांडी..मतलब इसके हाथ में चाकू दे दीजिए।


ये सही आइडिया था और जल्दी से केतन के हाथ में चाकू दे दिया गया।

लेकिन ये क्या ..केतन ने तो मुंह में भी लगा लिया था तब तक केक ..क्या मजाक है यार..सच में हसीं ही नहीं रुक रही थी हमारी तो ।

और जो हमारे पड़ोसी थे ..वो पता नही क्या कानाफूसी कर रहे थे ..और दांत निकाल रहे थे । इसी बीच एक कुक्का (कुत्ता) इतनी भीड़ में से भी दौड़ता हूँँआ आया और हमारे पास खड़ी महिलाओं की साड़ियां..मेरा मतलब ड्रेस बिगड़ते हूँँए ..एक महिला के पास पहूँँंचा..और रुक गया ..शायद वो ही मालकिन हो उसकी। खैर ..जिनकी ड्रेस बिगड़ी ..वो एक दूसरे से कुछ कह रही थी ।


कहां अपनी मारवाड़ी और कहां तेलुगु..आसमान जमीन का अंतर..क्युकी अपनी मारवाड़ी भाषा तेलुगु से कई गुना बेहतर लगती है ना इसीलिए इसे आसमान कहा और तेलुगु को जमीन..क्युकी इसे बहूँँत ही कम लोग समझते है ..पर एक बात तो है ..जो तेलुगु समझता है और बोलता है ना ..वो हिंदी बोलने का कोशिश भी करेगा इसके चांस बहूँँत ही कम है। मेरे हिसाब से ना के बराबर ,और जिसने स्कूल में ही हिंदी पढ़ी हो ..वो बोल सकता है थोड़ा थोड़ा..क्युकी यहां तो ऐसा भी है की ..बंदे ने हिंदी सब्जेक्ट से बी ए तक कर लिया..पर फिर भी उसे हिंदी समझ नही आती ,सच में।

उन महिलाओं में कुछ अधेड़ उम्र की थी , तो कुछ कच्ची उम्र की भी थी कभी-कभी हम दोनो की और देख के हंस देती पर ..सच में वो हम दोनो (मेरे और राधे) पर तो नही हस रही होगी ..ऐसा मेरा मानना था।

अभी देखिए इसी बीच केक कट गया। वो जिस सीट पर बैठे थे उसके दोनो तरफ से कुछ बंदों ने पठाके फोड़े और एक बहूँँत ही प्यारी से तस्वीर कैमरा मैन ने कैद की।

और फिर शुरू हूँँआ ..बाकी लोगों के गिफ्ट्स देने का और फोटो खिंचवाने का दौर , ये बहूँँत ही मजेदार..था सोचिए क्यू?

यार ,...केतन को तो फोटो नही खिंचवाना था ना ..अब उसका कोई रिश्तेदार जिसको फोटो खिंचवाने थी..कोई भी...जैसे ही उसके पास आता वो ..गिफ्ट लेता , पर फोटो नही खिंचवाना चाहता..और इधर-उधर देखना या रोना शुरू कर देता । किसी ने उसे साइकिल गिफ्ट की .. बस यही एक तोहफा था जो दिख रहा था..बाकी तो डिब्बों में पैक थे ना सब..पता नही क्या होगा उनमें,..खैर मेंने उनके बारे में सोचा भी नही ।

. मेरी पड़ोसन ..मीनाक्षी ने आवाज दी .. बइया बइया..आप फोटो..?

और मैं समझ गया..हां बिलकुल यार..तुम उनको बोलो ना हमारा भी नंबर आने दे.

 राधे बोली _यार हम लोग बस 50-50 रुपए देंगे क्या उसे..?

तो? मेने पूछा।

बाकी सब लोग तो गिफ्ट दे रहे है?

तो मैं क्या करूं ? यार।

..तब तक स्टेज पर भीड़ कम हो गई और मीनाक्षी..ने इशारा किया स्टेज पर जाने का।

अब क्या करे?... जाये?..ना जाए? करे तो करे क्या?

बड़ी ही असमंजस की स्थिति थी ..

राधे बोली-घर चलते है ,नमक-मिर्ची , आटा....सब है यार घर पर बना कर खा लेंगे , चलिए चले!

लेकिन मेरा मन अटका था,क्या करू ..? फिर मैने कहा - यार इतनी देर से हम यहां खड़े मज़े ले रहे थे ..तब तो तूझे ऐसा खयाल नहीं आया? अब बाकी लोग क्या सोचेंगे?

. क्योंकि मीनाक्षी ..हमारी ही तरफ देख रही थी।..तो हम लोग जा नही सकते थे ना घर।..

आखिर फैसला हूँँआ ..ये फैसला ऐसा ही था जैसे ..धर्म और अधर्म के बीच का कोई फैसला हो...और ..हमने स्टेज पर जाना चुना और 50 का नोट राधे को दे दिया।और दूसरा अपने पास रख लिया ।


जैसा कि मैं बता रहा हूँँ आपको, केतन तो पहले से ही रो रहा था ..मेरा मतलब गुस्से में था। हम लोग उनके पास पहूँँंचे और और फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हो गए .. हम दोनो..अलग अलग दोनो तरफ खड़े हो गए ।

राधे , केतन की मम्मी की तरफ और मैं अन्ना की तरफ

बीच में केतन अपनी साइकिल पर बैठा हूँँआ और केतन की बहन उससे लड़ रही है साइकिल के लिए और फिर केतन की मां और फिर राधे..ये हमारी फोटो का क्रम है..

चूड़ केतन ..चूड़ केतन ..केतन!केतन!

और वही पुरानी कहानी।... पर केतन कहा मानने वाला था ..अब तो उसकी बहन भी लड़ रही थी।

फिर मीनाक्षी ने तेलुगु में कुछ कहा..सच कहूँं तो मेरा ध्यान ही नहीं गया .. क्योंकि ..मैं तो यही सोच रहा था की 50 रुपए कैसे दूंगा ..खैर उसने बैठने के लिए बोला था शायद क्यूंकि मेरे और राधे के अलावा सब बैठ गए ..हम अभी भी खड़े थे 

फिर किसी ने हाथ से इशारा किया ..बइया...बइया.. कुरूचो..

फिर भी हम लोग नही बैठे और ..अन्ना और उनकी वाइफ बैठ गई केतन को गोद में उठा लिया अन्ना ने और उसकी बहन को अन्ना की वाइफ ने..और फिर हम दोनो से 50 रुपए देने के लिए हाथ बढ़ाए..तभी अन्ना बोला-

बइया ..बइया..पैसा नही.. लेदू.. लेदु..और फिर मेंने बोला की अन्ना मैं गिफ्ट नही लाया ।

तभी अन्ना बोला कोई बात नही ..आप खाना खाईयेगा..कोई बात नही .. बट पैसा नही।

ठीक है मैं बाद में दूंगा फिर गिफ्ट ओके।

हां ठीक है ।

इसी बीच राधे और मैंने अपने-अपने हाथ समेंटे और खड़े - खड़े अच्छे पोज में फोटो खिंचवाई।


 और धीरे-धीरे स्टेज से खिसक लिए..

फिर अन्ना की बहन के पति ,.पता नही तेलुगु में क्या कहते है , पर वो स्टेशन मास्टर है , उन्होंने हमे खाने के लिए आग्रह किया .. मैंने कम से कम दो बार उनसे पूछा .. सर वेज है ना खाना? ..सर वेज है ना खाना?..फिर वो हमे खाने वाली कतार के पास ले गए ..जहा सब था , चावल डाला प्लेट में फिर गुलाब जामुन ..फिर बिरयानी ..और फिर चिकन और मटन ..वाली टोकरियां थी ..तो हमे सीधे आगे आने को कहा और बैंगन का भर्ता ..और दही मिला थोड़ा.।

और बैठने की बात करू, तो सही में .. वहां बैठने की जगह केवल नाम की थी ..कोई तो गाड़ी , स्कूटर पर बैठकर खाना खा रहा था ..हम बस साइड में खड़े होकर खाने लगे ..अब क्यू कि बिरयानी में पता नही कोनसा कोनसा मसाला डालते है ना ..राधे बीच में से निकलती और दिखाती ..ये क्या है?..मेने कुछ तो बताया ..पर सारी चीजे थोड़े ना समझ में आने वाली थी ..खैर उसने बस थोड़ा ही खाया ..और मेंने बिना कुछ सोचे आराम से पेट भर खाया और घर आये हंसते हंसते।



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