जड़
जड़
बहुत हुई राजनीतिक बहस चलो अब बचपन में चलते हैं...
ध्यान लगाकर सुनो बच्चों एक कहानी हम कहते हैं...
"एक पेड़ की कहानी उस पर बैठी चिड़िया की ज़ुबानी"
चिड़िया: " मालिन, मेरे पेड़ की हालत कुछ ठिक नहीं लग रही, कितने ही माली आए, कई उपाय भी बताए, पर हालात बद से बदतर हो रहे !"
मालिन हकीकत से अनजान न थी ना ही दुसरे मालियों से भिन्न और विशेष (कर्तव्यबोध या कीर्ति की मंसा बता पाना आसान नहींं), मालिन चिड़िया की मदद को राज़ी हो गई !
लम्बे सफर की थकान से मालिन पस्त ना हो जाए इसलिए चिड़िया ने सोचा क्युं न मालिन को पेड़ की कहानी बताए आखिर उसे भी तो अपने पुर्खों की विरासत को सहेजने का मौका मिला था !
उसने कहना शुरु किया, ' बहुत समय पहले कुछ परिंदे घोसले की तलाश में इस ओर भटक गए थे तभी एक नेक़ दिल माली ने इस पेड़ का बीज बोया था और बडे़ ही लाड़ प्यार से उसे सिंचा, पेड़ काफी हरा-भरा और फल फुलों से लदा हुआ था अब उसपर अब कई परिंदे अपना घोसला बनाकर रहने लगे ! माली ने अपने बच्चो को भी पेड़ की हिफाजत और रखवाली का पाठ पढाया और हर नये परिंदे को उस परिवार का हिस्सा बनाया !
पीढ़ि दर पीढ़ि माली की विरासत को बरकरार रखा गया और वह पेड अब एक बागिचे का आधारभूत बन चुका था ! अब सिर्फ मुल ही नहींं प्रवासी परिंदे भी बगीचे का हिस्सा बन गए थे कुछ प्रवासी परिंदो ने बगीचे की विरासत को अपने बागानों तक पहुँचाया तो कुछ ने उस बगीचे को ही अपना मूल बनाया ! माली की पिढ़िया बेझिझक सेवा करती रही और दुसरे मालियों को भी सेवा का हकदार बनाती रही !
कुछ समस बाद हालात कुछ यु हुए की परिदों की सहुलियत के लिए बगीचे की बागडोर अलग-अलग मालियों को सौंप दी गई ! बगीचे का आधार वह हरा-भरा मज़बूत पेड़ तब भी हर परिंदे का आशियाना था, जैसे नानी का गाँव ! पेड़ की अहमियत का हर माली को अंदाजा था इसीलिए हर किसी ने उसके हरे पत्तों और लदे हुए फल- फुल और बसे हुए परिंदो का बखु़बी ख्याल रखा, और यह सिलसिला बस युहीं चलता रहा !
पर कुछ दिनों से पेड़ की हालत संजिदा थी, वह हरा-भरा तो था पर फिर भी बेजान सा प्रतित होता था उस पर बसे परिदों मे कुछ अनबन थी ! कुछ उस-पर पल- बढ़ के भी उसे अपना घर ना मानते थे और कुछ उसे अपनी विरासत समझ उसे अनायस ही खँगोलते थे !
कई माली आए पेड़ हरा-भरा रहा पर फिर भी बेजान ! "
"मेरे अब्बा ने ना जाने कयुं मुझे आपको संदेशा देने भेजा, कहते है आप कठोर है (माफ किजिएगा) पर पेड़ को इस समय आपकी जरूरत है" चिडिया ने मालिन को संबोधित किया ! जबकी वह मन ही मन सोच रही थी कि एक सख्त मालिन कहीं मेरे पेड़ की नींव ही ना हिला दे !
मालिन सारी कहानी जानते हुए भी चुपचाप चिड़िया की बातें सुनती रही आखिर उसे चिड़िया के नज़रिए और उसके दिल मे अपने लिए इज्ज़त का भी तो ख्याल था !
कुछ ही देर मे मालिन पेड़ के करीब पहुँची, पेड़ का निरिक्षण किया, उस पर बसे परिंदो से अपना परिचय कराया ! कुछ परिंदे नाखुश से नज़र आए और कुछ ने आदतन खिलाफत में उत्साह जताया, पर असल में किसी को कुछ खबर न थी मालिन के इरादों की !
कुछ देर के परिक्षण और परिंदो की कहानी सुन मालिन ने रोग का अंदाजा़ लगाया !
पेड़ उपर से भरा पुरा था पर अंदर से खोख़ला हो चुका था ! मालिन ने सीधा जड़ को निशाना बनाया !
"हमें जड़ें मजबूत करनी पड़ेगी !" मालिन ने सबको अ़ागाह किया !
सभी परिंदे व्याकुल हो उठे वह जड़े मजबूत करने के उपरी उपाय के नीचे दबी एक लंबी प्रक्रिया से अवगत थे ! यह एक छलावा था !
चिड़िया ने सुना 'जड़ें मज़बूत' उसका श़क सही निकला, सख्त मालिन ने नींव ही हिलाने की बात कह दी थी ! चिड़िया अब मालिन के बुलाए जाने के निर्णय पर खुद से सवाल करने लगी !
बगीचे की रौनक फ़ीकी होने लगी
कि अचानक हरे-भरे बेजान पेड़ ने कुछ हरकत करी, आखिर उसने अपने मालिक की पीढ़ी को पहचान लिया !
चिड़िया ने मालिन को देखा, वह पेड़ की जड़ें निहार रही थी !
