S0NM!T SHUKLA

Others

5.0  

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इश्क़ स्वादानुसार

इश्क़ स्वादानुसार

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मेरे हिसाब से किसी से प्यार होना, किसी भी उम्र में प्यार होना गलत बात नहीं है। सोचना बस तब पड़ जाता है जब लोग प्यार को शौक़ की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं। आज इन से है कल किसी और से होगा। जो पहले कभी ज़िन्दगी हुआ करता था, जिसके साथ रह के कई दिन कई रातें हसीन हुई हैं, जो शायद कभी आपके आँसुओं का कारण ही नहीं बनना चाहता था, और उसकी ख़्वाहिश सिर्फ ये थी कि जब आपके चेहरे पर किसी वजह से मुस्कान आये, तो उसकी वजह सिर्फ वो हो। ऐसे इंसान को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जाता है क्योंकि उसमें अनेको कमियाँ पनप गयी हैं, जिसको सुधारने की कोशिश तक नहीं की जाती।

इस परेशानी का एक कारण और है, और वो कारण है किसी नए इंसान का ज़िन्दगी में कदम रखना।

अक्सर लोगो को अपनी पुश्तैनी चीज़ों को संभाल कर रखते हुए सुना गया है, और इस बात से हमे ये सीख मिलती है कि चीज़े जितनी पुरानी हो उतनी ही भरोसेमंद और टिकाऊ होती है, बशर्ते इंसान को अपना स्वाद नहीं भूलना चाहिए ।


बात हो रही थी नए इंसान के ज़िन्दगी में आने की, तो ये कहा जा सकता है कि कही न कही जो प्रयत्न नया इंसान करता है वो भाने लगता है, जबकि पहले वाला इंसान ये सोच के निश्चिन्त होता है कि वो उसको पाने के लिए जो करना चाहता था, वो कर चुका है ।

इस तरह से पहले इंसान के प्यार का फीकापन और दूसरे वाले इंसान के प्यार का नयापन इस असमंजस में डाल देता है कि दोनो में से सही कौन है। और यकीन मानिए, दोनो की तुलना करना सबसे पहली ग़लती होती है। क्योंकि वो पहला इंसान जो सारी मुश्किलें झेल के (इस बात से अंजान की उसकी कुर्बानियों की तुलना किसी नए आये हुए इंसान से हो रही है) आज भी आप पर भरोसा करके, आपके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की आशा लिए बैठा है, जब उसे पता चलेगा कि उसकी सारी कुर्बानियों का, उसके सारे प्रयासों का ये सिला मिला है तो उसे कैसे लगेगा ।

बात सिर्फ इतनी है कि उस नए इंसान को जानने समझने में जितना समय लगता है, उतना समय अगर पुराने इंसान को दिया जाए, जो आपसी दिक्कतें हैं उसके बारे में बातें हो, बहस हो, लड़ाइयाँ हो और इस तरह से उसे सुलझाया जाए तो शायद कभी किसी अपने की तुलना किसी पराये से नहीं करनी

पड़ेगी।



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