STORYMIRROR

Pradhan ji 007

Children Stories Inspirational

4  

Pradhan ji 007

Children Stories Inspirational

ईमानदारी का इनाम

ईमानदारी का इनाम

3 mins
573


बहुत समय पहले की बात है। किसी गांव में बाबूलाल नाम का एक पेंटर रहता था। वो बहुत ईमानदार था, किन्तु बहुत गरीब होने के कारण वो घर घर जा कर पैंट का काम किया करता था। उसकी आमदनी बहुत कम थी। बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था।


पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ दो वक़्त की रोटी ही जुटा पाता था। वो हमेशा चाहता था कि उसे कोई बड़ा काम मिले जिसे उसकी आमदनी अच्छी हो। पर वो छोटी काम भी बड़े लगन और ईमानदारी से करता था।


एक दिन गांव के जमीनदार ने बुलाया और कहा – “सुनो बाबूलाल! मैने तुम्हे यहां एक बहुत जरूरी काम के लिए बुलाया है। क्या तुम वो काम करोगे? ” बाबूलाल – “जी हजूर! जरूर करूंगा। बताइए क्या काम है।” जमीनदार -” में चाहता हूं तुम मेरे नाब पैंट करो और ये काम आज ही हो जाना चाहिए।” बाबूलाल – “जी हजूर! ये काम में आज ही कर दूंगा।” सामान लेे कर जैसे बाबूलाल आता है वो नाव को रंगना शुरू कर देता है।


जब बाबूलाल नाव रंग रहा था तो उसने देखा नाव में छेद था। वो सोचा अगर इसे ऐसे ही पैंट करदिया जाएगा तो ये डूब जाएगी ऐसा सोच कर वो छेद को भर देता है और नाव को पैंट कर देता है। फिर जमीनदार के पास जाता है और कहता है -” हजूर! नाव का काम पूरा हो गया। आप चल कर देख लीजिए।”


फिर वो दोनो नदी किनारे जाते है। नाव को देख कर जमीनदार बोलता है – “अरे वाह बाबूलाल! तुमने तो बहुत अच्छा काम किया है। ऐसा करो तुम कल सुबह आ कर अपना पैसा ले जाना।” उसके बाद वो दोनो अपने अपने घर चले जाते है। अगले दिन जमनिदार के परिवार उसी नाव में नदी के उसपार घूमने जाते है ।


शाम को जमीनदार का नौकर रामू जो उसकी नाव की देख रेख भी करता था छुटी से वापस आता है और परिवार को घर पर ना देख कर जमीनदार से परिवार वाले के बारे में पूछता है। जमीनदार उसे सारी बात बताता है। जमीनदार बात सुन कर रामू चिंतन में पड़ जाता है , उसे चिंतित देख कर जमीनदार पूछता है – “क्या हुआ रामू? ये बात सुन कर तुम चिंतित क्यूं हो गए। ” रामू – “सरकार! लेकिन उस नाव में तो छेद था। “


रामू की बात सुन कर जमीनदार भी चिंतित हो जाता है तभी उसकी परिवार वाले पूरा दिन मौज मस्ती कर के वापस आ जाते है। उन्हें सकुशल देख कर जमीनदार चैन की सांस लेता है। फिर अगले दिन जमीनदार बाबूलाल को बुलाता है और कहता है – “ये लो बाबूलाल तुम्हारा मेहनत का पैसा , तुमने बहुत बढ़िया काम किया है। में बहुत खुश हूं। ” पैसे गिनने के बाद बाबूलाल हैरान हो जाता है क्यूं की वो पैसे ज्यादा थे। वो जमीनदार से कहता है – ” हजूर ! अपने मुझे गलती से ज्यादा पैसे दे दिए है”।


जमीनदार – ” नहीं बाबूलाल! ये मैने तुम्हे गलती से नहीं दिए। ये तुम्हारी मेहनत का ही पैसा है। क्यूं की तुमने बहुत बड़ा काम किया है। तुमने इस नाव की छेद को भर दिया जिस के बारे में मुझे पता भी नहीं था। अगर तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे। पर तुमने एसा बिल्कुल नहीं किया जिसके लिए मेरे परिवार सुरक्षित घर वापस आ गए हैं।"


Rate this content
Log in