हाय मैं जली भाग-1
हाय मैं जली भाग-1
बहुत पुरानी बात है।एक राजा के तीन बेटे थे,तीनों बहुत बहादुर वीर थे। धीरे-घीरे तीनों युवा हो गए,अब राजा को तीनों के विवाह की चिंता सताने लगी।
राजा ने इसका एक उपाय सोचा और तीनों राजकुमारो को बुलाकर धनुष निकालकर तीर चलाने को कहा-पुत्रों तुम्हारा तीर जिस घर में जाकर लगेगा,उस घर की बेटी के साथ तुम्हारा विवाह होगा।तीनों राजकुमारों ने धनुष चलाया।पहले राजकुमार का तीर एक महल में लगा,उस राजमहल में रहने वाली राजकुमारी के साथ धूमधाम से उसका विवाह हो गया।दूसरे राजकुमार का तीर एक साहूकार के भवन मे लगा,उसकी सुशील कन्या के साथ राजकुमार का विवाह कर दिया गया।
तीसरे राजकुमार का तीर एक पेड पर जाकर जाकर लगा,उस पर एक बंदरिया बैठी थी।राजा ने राजकुमार को दोबारा तीर चलाने को कहा,पर राजकुमार ने कहा -मेरे भाग्य में बंदरिया से विवाह होना लिखा था,मैं इसी के साथ विवाह करुगा,वह नही चाहता था कि दुनिया उसके पिता को झूठा कहे,अंत में हारकर राजा ने बंदरिया के साथ उसका विवाह कर दिया।राजा-रानी शोक में डूब गए कि उनके बेटे का जीवन बरबाद हो गया।
रात का समय तीसरा राजकुमार उदास अपने कमरे में बैठा है,अचानक ऐसा लगा जैसे कमरे में मधुर संगीत गूंज उठा हो आवाज आयी-राजकुमार उदास क्यों बैठै हो,अपनी पत्नी का प्रणाम स्वीकार करो।राजकुमार ने कहा-मेरी पत्नी तो बंदरिया है नहीं, आपकी पत्नी बंदरिया नही हैं एक ॠषि की तपस्या में विध्न पहुंचाने पर उनके शाप से मैं बंदरिया बन गयी ।
बहुत विनती करने पर उन्होनें दया करके कहा-मेरा शाप झूठा तो नही हो सकता पर रात मैं तुम अपने वास्तविक रुप में आ जाओगी,परी को पत्नी के रुप में पाकर राजकुमार बहुत खुश हुआ।
