गिलहरी की महानता
गिलहरी की महानता
मेरी सहेली का बड़े से बाग में घर था . एक दिन मैं उससे मिलने उसकी बगीचे गयी मैं बैठकर पेड़ों को निहार रही थी। इतने में मुझे संवाद करने की आवाज सुनाई दी। मैंने देखा जामुन के पेड़ पर गिलहरी बैठी है और अपने बच्चों को जामुन खिला रही है। जामुन का पेड़ मुस्कुराकर सब देख रहा है जामुन के पेड़ ने गिलहरी की ममता भरी आँखों में देखा, अपने बच्चों के लिए उसकी आँखों में ममत्व कूट कूट कर भरा था। जामुन के पेड़ ने गिलहरी से कहा -आज तुम बहुत खुश हो।
गिलहरी ने कहा -तुम जों जामुन देते हो. उसे खाकर मेरे बच्चे बहुत तंदुरुस्त हो गए हैं
जामुन के पेड़ ने कहा "हाँ बहन हम कभी अपने फल खाते हैं क्या ?हम तो दूसरों को फल देकर खुश हो जाते हैं.
गिलहरी धन्यवाद देते हुए चली गयी।
यह सिलसिला लगातार चलता रहा.
एक दिन गिलहरी आयी तो उसने देखा जामुन का पेड़ उदास खड़ा हैं उसने उससे उदासी का कारण पूछा, जामुन के पेड़ ने कहा कल गांव के लोग आये थे बोल रहे थे हम धीरे धीरे सभी पेड़ काट डालेंगे।
गिलहरी थोड़ी देर के लिए चुप हो गई ।फिर बोली -आप चिंता न करें मैं और मेरे बच्चे फिर से हरा भरा करेंगे. हम तुम्हारे और अन्य पेड़ों के बीज जगह जगह रख देंगे और देखते देखते जंगल हरे भरे वृक्षों से लहलहाने लगेगा।
जामुन के पेड़ की आँखों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
उसने गिलहरी को धन्यवाद दिया। इतने में हवा का एक झोंका आया, पेड़ से बहुत सारे जामुन गिरे, गिलहरी और बच्चे खुशी ख़ुशी जामुन खाने लगे....
