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Ghanshyam singh

Children Stories

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Ghanshyam singh

Children Stories

एक किस्सा बचपन का

एक किस्सा बचपन का

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ये कोई कहानी नहीं मेरे निजी जीवन का किस्सा है, मुझे छोटे छोटे किस्से लिखना और सुनाना बहुत अच्छा लगता है ।

मुझे बचपन में बाबा के दफ्तर से लौट आने का बेसब्री से इंतजार होता था, वो लौटते हुए अक्सर कुछ ना कुछ हम बच्चों के लिए ले आते थे, शायद हमारे हंसते चेहरे देख बाबा को खूब खुशी मिलती थी। अब ना वो बचपन है ना बाबा, जब भी उनका कोई पुराना समान देखता हूँ आँखे भर जाती हैं। काश ! कि मुझे मालूम होता बाबा छोड़ जाने वाले हैं, काश ! कि मैंने अपने गुस्से को कोने में रख, उनकी बातें मानी होती,काश! कि मैने सबकुछ उनकी खुशी के मुताबिक किया होता, बाबा तो नहीं रहे बस मलाल रह गया।


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