दिल टूट गया
दिल टूट गया
जाते ही पार्टी में चेक किया कि शायद पार्टी में कहीं कोई ऐसा चेहरा मिल जाये, जो हमारी तन्हाई को अपने मधुर मधुर अल्फाजों से भर सके।
काफी देर की ताक झांकने बाद एक लायक चेहरा दिखा...जैसी ढूंढ रहे थे एकदम सेम टू सेम मन प्रसन्न हो गया...उम्मीदें उछल के गले मे आ गईं। बात शुरू कैसे होगी क्या बोलेंगे, कैसे बोलेंगे..क्या बोलेगी...कहीं मना कर दिया..हजार प्रश्न दिमाग में उधम मचा रहे थे। क्योंकि पार्टी पहचान के चाचा की थी सो उन्होंने जिम्मेदारी भरा (रसना बांटने का ) कार्य हमको सौंप दिया..हमको भी वो काम मेहनत से ज्यादा मौका लग रहा था। मन प्रफुल्लित था, सारी खामखा की जनता को पार करके उस तक पहुंचे, जो हमारा वाकई प्रयोजन थी, जिसकी खातिर हम बेकार (अपनी भाषा में कहें तो दो कौड़ी के लोगों से भी ) अति सम्मानपूर्वक बात कर रहे थे। मुझे पता नही, ये सॉफ्टवेयर बॉडी के किस पार्ट में होता है, जो लड़कों में लड़कियों के दिखते ही, एक्टिवेट हो जाता है सो हम भी पूर्णरूपेण सभ्य, संस्कारी, बनने का भरपूर प्रयास कर रहे थे ताकि साउथ हीरो क
ी तरह हीरोइन हमको देख के ही मेल्ट हो जाये।
अत्यंत उच्चरक्त चाप के साथ, हृदयस्पन्दन को संभालते हुए, हम उसके सामने पहुंचे, उसके पड़ोसी को रसना पिलाया। कमबख्त, पिये ही जा रही थी और हमको ये डर था कि कहीं देर न हो जाये, हीरोइन कहीं निकल न जाये कोई बीच में आ न जाए।
डर ये भी था कि कहीं उसको आभास न हो जाये, कि हम स्टोरी बनाने को अतिसय लालायित हैं, अरे नहीं जान पाएगी, दिल ने कहा। पहचानेगी कैसे नहीं, लालरी तुमाए चेहरे से छलक रही है दिमाग ने कहा। इसी इसी उधेड़बुन में इस कदर उलझे की उसको रसना दिए बिना ही दूसरी ओर मुड़ गए।
और अभी हम स्टोरी सेट करने का गणित लगा ही रहे थे कि तभी पीछे से एक सुरमई आवाज़ आई।
"भइया, हमें भी रसना दीजिये, आप हमें तो भूल ही गए। ये सुरीली आवाज़ में कहे शब्द धारदार तलवार जैसे दिल मे घुसते चले गए। इस एक वाक्य ने हमारे सारे अंकों का गुना शून्य से करवा दिया। खीझ यूँ उठी की ऊपर रसना उड़ेल दें, परन्तु सहजता दिखाने को बाध्य थे। धूमधड़ाकेदार पार्टी न जाने क्यों एकदम से ध्यानयोग शिविर की तरह शांत प्रतीत होने लगी हमने भी तुरंत कार्यक्रम लपेटा, और अपने सिंगल स्टेटस को सम्भाले हुए घर निकल लिए।