Radhika Nishad

Children Stories Horror drama romance

4.0  

Radhika Nishad

Children Stories Horror drama romance

डर से भरी डरावनी दस्तक.!

डर से भरी डरावनी दस्तक.!

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कई साल पहले नैना,,,, आर.जे. बनने की चाह में,,,,दिल्ली आई हुई थी,,,,अपने घरवालों से दूर,,,, आँखों में एक ही सपना लिए घर से निकली थी,,,,और अपने छोटे से गांव को बहुत पीछे छोड़ आई थी,,,,और दिल्ली में ही रह गई,,,,25 अगस्त की रात थी,,,,और कुछ ही देर में नैना के लिए इस्पेश्ल डे आने वाला था,,,,और वो इश्पेशाल डे था,,,,उसका बर्थडे,,,,

एक पुराने से टेबल लेंम्फ के उजाले में चेयर पर बैठी नैना,,,,डायरी के पन्नो में कुछ लिख रही थी,,,,लिखते लिखते जाने कब नैना की आंख लग गई और उसे पता ही नही चला,,,,,बाहर बरसात जोरों की हो रही थी,,,,तभी अचानक टेबल लेंम्फ जलने और बुझने लगी,,,,,तभी दरवाज़े पे किसी ने दस्तक दी नैना ने धीरे से अपनी आँखें खोली,,,,तो उसको कमरे में सब कुछ धुंधला धुंधला दिखाई दे रहा था,,,,

जैसे उसके कमरे में किसी ने धूपबत्ती का धुआं छोड़ दिया हो,,,,,उसने आँखों को मला और जलते बुझते टेबल लैंप,,, कि और देखा और टेबल लेफ को उठाके घड़ी की और देखते हुए,,,,टाइम देखने लगी,,,,अरे इस टाइम कौन आ गया,,,,वो थोड़ी गुस्से से उठी,,,,और दरवाज़े की तरफ जा ही रही थी,,,,की तभी फिर से नोक नोक हुई वो भी जोर जोर से,,,,नैना बोली अरे आ रही हूं,,,,,

अब क्या दरवाज़ा ही तोड़ दोंगे,,,,,,एक मिनट तो दो,,,,नैना थोड़ी तेज आवाज़ में बोली और चलती चली आ रही थी,,,,नींद में झूलते हुए,,,,और दरवाज़े के मैजिक आई से देखने लगी के हैं कौन,,,,,लेकिन दरवाज़े के उस पार उसे कोई नही दिखाई दिया,,,,नैना झल्लाते हुए बोली अरे ये बेवकूफ बच्चे भी न,,,,पूरा दिन कुछ न कुछ हरकते करते रहते है,,,,रात में भी चैन से नहीं सोने देते,,,,,

जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तभी फिर से किसी ने दस्तक दी,,,,,अब नैना को बहुत गुस्सा आ गया,,,,और तेजी से मुड़ी और दरवाज़ा खोल कर आंखे मूंदे हुए अवस्था में जैसे ही डांटने के लिए मुंह खोलती है की आँखें बड़ी हो गई,,,,शब्द जैसे गले में ही अटक के रह गया,,,,,सामने कोई भी नही था,,,,और फिर दहलीज के भीतर से ही दाएं बाएं देखा झाँक कर तब भी उसे कोई नही दिखाई दिया,,,,

अपाटमेंट का पूरा फलोर खाली दिख रहा था,,,,फिर कुछ सोचकर वो दहलीज के बाहर जैसे ही कदम रखी वैसे ही उसके पैर किसी चीज से टकरा गए उसने नीचे देखा तो एक छोटा सा गिफ्ट पैक डब्बा रखा हुआ था,,,,,वो डब्बा देख कर हैरान हो गई और गौर से देखने लगी और सोचने लगी,,,,जब मैंने मैजिक आई से झांक कर देखा था तो,,,,,कुछ नही दिखा था,,,,अब अचानक कौन रख गया,,,, वो तुरंत अपाटमेंट् के बाहर जा कर देखती है,,,,तो उसे कोई भी नही दिखा,,,,,वो वापिस अपने अपाटमेंट् में आती है फिर कुछ सोचते हुए,,,,

नैना ने उस डिब्बे को उठाया,,,,और उठाकर कमरे में ले जानें लगी तो एक बार फिर दाएं बाएं देखा और धीरे से दरवाजा बंद कर कमरे में आ गई,,,,अब उस डिब्बे को बेड पे रख कर हैरानी भरे नजरों से देखने लगी,,,,जलती बुझती कमरे की ट्यूब लाइट नैना को परेशान करने लगी,,,,तो उसने उसे बंद कर दिया,,,,और डब्बे को गौर से देखने लगी,,,,वो देख रही थी,,,, उस बॉक्स की पैकिंग कितने करीने और बड़ी ही सफाई से की हुईं थी,,,,,

कुछ सोच कर खोलती है,,,,ये देखने के लिए की आख़िर इसमें है,क्या,,,,,, जैसे ही पैक की गई चमकती पन्नी को हटाती है,,,,ऊपर ब्लैक मार्कर से लिखा था,,,,ठीक बारह बजे खोलना,,,,वो एक्साइटड और हैरान दोनों ही थी,,,,,

हैरान इसलिए की उस गिफ्ट को भेजने वाले का नाम नही था,,,, एक्साइटड इसलिए की इसमें ऐसा है क्या जो इतनी मेहनत से डिब्बे को पैक कर रखा है,,,,

घड़ी की सुइयां जोर की आवाज के साथ बारह बजने का इशारा कर रही थी,,,,नैना,,,, उस गिफ्ट को खोलती है,,,तो देखती है,,,,उसमें कुछ लेटर्स थे,,,,और कुछ सूखे गुलाब थे,,,,और एक कैसेट भी था,,,,वो ये सब देखकर बहुत हैरान होती है,,,,,के तभी आसमान से ज़ोर की बिजली कड़ती है,,,,और अपार्टमेंट की सभी लाइट्स जलने बुझने लगती है,,,,,और पूरे रूम में धुआं सा उठने लगता है,,,,,

अचानक कुर्सी चर चर की आवाज के साथ आगे पीछे होने लगती है,,,,जैसे कुर्सी पे कोई बैठा है,,,,नैना घबरा जाती है,,,,,माथे से पसीना टपकने लगता है,,,,और हाथ पैर भी कांपने लगते है और दिल की धड़कनें तेज़ गति से चलने लगी,,,,,कुछ देर के लिए वो आगे पीछे होती कुर्सी रुक जाती है,,,,और नैना के कान के पास से बेहद करीब से कोई अजीब सी मोटी सी आवाज में कहता है,,,,

हैप्पी बर्थडे नैना,,,,,नैना पीछे होने के चक्कर में नीचे गिर पड़ती है,,,,अचानक फिर से वहीं आवाज़ आती है,,,,नैना मेरी जान तुम्हें अपना गिफ्ट कैसा लगा,,,,नैना को महसूस होता है,,,,जैसे कोई उसके करीब एक पैर मोडे नीचे की और,,,,,और दूसरे पैर के घुटनें पे हाथ रखे उसकी तरफ कोई झुका हुआ है,,,,नैना डर के तुरंत खड़ी होती है,,,और दरवाज़े की तरफ भागती है,,,,

पर जहाँ दरवाज़े को होना चाहिए था,,,वहां एक दीवार के अलावा और कुछ नही था,,,,नैना खुद से ही झल्लाते हुए बोलती है,,,,ये...ये दरवाज़ा कहा गया,,,,नैना दीवारों पर ही तेज तेज हाथ मारने लगती है,,,,कई साल पहले नैना,,,, आर.जे. बनने की चाह में,,,,दिल्ली आई हुई थी,,,,अपने घरवालों से दूर,,,, आँखों में एक ही सपना लिए घर से निकली थी,,,,और अपने छोटे से गांव को बहुत पीछे छोड़ आई थी,,,,और दिल्ली में ही रह गई,,,,25 अगस्त की रात थी,,,,और कुछ ही देर में नैना के लिए इस्पेश्ल डे आने वाला था,,,,और वो इश्पेशाल डे था,,,,उसका बर्थडे,,,,

एक पुराने से टेबल लेंम्फ के उजाले में चेयर पर बैठी नैना,,,,डायरी के पन्नो में कुछ लिख रही थी,,,,लिखते लिखते जाने कब नैना की आंख लग गई और उसे पता ही नही चला,,,,,बाहर बरसात जोरों की हो रही थी,,,,तभी अचानक टेबल लेंम्फ जलने और बुझने लगी,,,,,तभी दरवाज़े पे किसी ने दस्तक दी नैना ने धीरे से अपनी आँखें खोली,,,,तो उसको कमरे में सब कुछ धुंधला धुंधला दिखाई दे रहा था,,,,

जैसे उसके कमरे में किसी ने धूपबत्ती का धुआं छोड़ दिया हो,,,,,उसने आँखों को मला और जलते बुझते टेबल लैंप,,, कि और देखा और टेबल लेफ को उठाके घड़ी की और देखते हुए,,,,टाइम देखने लगी,,,,अरे इस टाइम कौन आ गया,,,,वो थोड़ी गुस्से से उठी,,,,और दरवाज़े की तरफ जा ही रही थी,,,,की तभी फिर से नोक नोक हुई वो भी जोर जोर से,,,,नैना बोली अरे आ रही हूं,,,,,

अब क्या दरवाज़ा ही तोड़ दोंगे,,,,,,एक मिनट तो दो,,,,नैना थोड़ी तेज आवाज़ में बोली और चलती चली आ रही थी,,,,नींद में झूलते हुए,,,,और दरवाज़े के मैजिक आई से देखने लगी के हैं कौन,,,,,लेकिन दरवाज़े के उस पार उसे कोई नही दिखाई दिया,,,,नैना झल्लाते हुए बोली अरे ये बेवकूफ बच्चे भी न,,,,पूरा दिन कुछ न कुछ हरकते करते रहते है,,,,रात में भी चैन से नहीं सोने देते,,,,,

जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तभी फिर से किसी ने दस्तक दी,,,,,अब नैना को बहुत गुस्सा आ गया,,,,और तेजी से मुड़ी और दरवाज़ा खोल कर आंखे मूंदे हुए अवस्था में जैसे ही डांटने के लिए मुंह खोलती है की आँखें बड़ी हो गई,,,,शब्द जैसे गले में ही अटक के रह गया,,,,,सामने कोई भी नही था,,,,और फिर दहलीज के भीतर से ही दाएं बाएं देखा झाँक कर तब भी उसे कोई नही दिखाई दिया,,,,

अपाटमेंट का पूरा फलोर खाली दिख रहा था,,,,फिर कुछ सोचकर वो दहलीज के बाहर जैसे ही कदम रखी वैसे ही उसके पैर किसी चीज से टकरा गए उसने नीचे देखा तो एक छोटा सा गिफ्ट पैक डब्बा रखा हुआ था,,,,,वो डब्बा देख कर हैरान हो गई और गौर से देखने लगी और सोचने लगी,,,,जब मैंने मैजिक आई से झांक कर देखा था तो,,,,,कुछ नही दिखा था,,,,अब अचानक कौन रख गया,,,, वो तुरंत अपाटमेंट् के बाहर जा कर देखती है,,,,तो उसे कोई भी नही दिखा,,,,,वो वापिस अपने अपाटमेंट् में आती है फिर कुछ सोचते हुए,,,,

नैना ने उस डिब्बे को उठाया,,,,और उठाकर कमरे में ले जानें लगी तो एक बार फिर दाएं बाएं देखा और धीरे से दरवाजा बंद कर कमरे में आ गई,,,,अब उस डिब्बे को बेड पे रख कर हैरानी भरे नजरों से देखने लगी,,,,जलती बुझती कमरे की ट्यूब लाइट नैना को परेशान करने लगी,,,,तो उसने उसे बंद कर दिया,,,,और डब्बे को गौर से देखने लगी,,,,वो देख रही थी,,,, उस बॉक्स की पैकिंग कितने करीने और बड़ी ही सफाई से की हुईं थी,,,,,

कुछ सोच कर खोलती है,,,,ये देखने के लिए की आख़िर इसमें है,क्या,,,,,, जैसे ही पैक की गई चमकती पन्नी को हटाती है,,,,ऊपर ब्लैक मार्कर से लिखा था,,,,ठीक बारह बजे खोलना,,,,वो एक्साइटड और हैरान दोनों ही थी,,,,,

हैरान इसलिए की उस गिफ्ट को भेजने वाले का नाम नही था,,,, एक्साइटड इसलिए की इसमें ऐसा है क्या जो इतनी मेहनत से डिब्बे को पैक कर रखा है,,,,

घड़ी की सुइयां जोर की आवाज के साथ बारह बजने का इशारा कर रही थी,,,,नैना,,,, उस गिफ्ट को खोलती है,,,तो देखती है,,,,उसमें कुछ लेटर्स थे,,,,और कुछ सूखे गुलाब थे,,,,और एक कैसेट भी था,,,,वो ये सब देखकर बहुत हैरान होती है,,,,,के तभी आसमान से ज़ोर की बिजली कड़ती है,,,,और अपार्टमेंट की सभी लाइट्स जलने बुझने लगती है,,,,,और पूरे रूम में धुआं सा उठने लगता है,,,,,

अचानक कुर्सी चर चर की आवाज के साथ आगे पीछे होने लगती है,,,,जैसे कुर्सी पे कोई बैठा है,,,,नैना घबरा जाती है,,,,,माथे से पसीना टपकने लगता है,,,,और हाथ पैर भी कांपने लगते है और दिल की धड़कनें तेज़ गति से चलने लगी,,,,,कुछ देर के लिए वो आगे पीछे होती कुर्सी रुक जाती है,,,,और नैना के कान के पास से बेहद करीब से कोई अजीब सी मोटी सी आवाज में कहता है,,,,

हैप्पी बर्थडे नैना,,,,,नैना पीछे होने के चक्कर में नीचे गिर पड़ती है,,,,अचानक फिर से वहीं आवाज़ आती है,,,,नैना मेरी जान तुम्हें अपना गिफ्ट कैसा लगा,,,,नैना को महसूस होता है,,,,जैसे कोई उसके करीब एक पैर मोडे नीचे की और,,,,,और दूसरे पैर के घुटनें पे हाथ रखे उसकी तरफ कोई झुका हुआ है,,,,नैना डर के तुरंत खड़ी होती है,,,और दरवाज़े की तरफ भागती है,,,,

पर जहाँ दरवाज़े को होना चाहिए था,,,वहां एक दीवार के अलावा और कुछ नही था,,,,नैना खुद से ही झल्लाते हुए बोलती है,,,,ये...ये दरवाज़ा कहा गया,,,,नैना दीवारों पर ही तेज तेज हाथ मारने लगती है,,,,अभी वो यहां से भागने का रास्ता ढूंढ ही रही थी की,,,,नैना को लगा पीछे से कोई गुजरा,,,,भय से उसके रोंगटे खडे हो गए,,,,अब उसे अपने पूरे बदन में एक अजीब सी ठंड सी महसूस होने लगी,,,,

जब नैना अचानक से पीछे मुड़े देखने लगी की कौन है,,,तो वहां कोई नहीं था,,,,नैना को ऐसा लग रहा था,,,,जैसे वो किसी पिंजरे में कैद हो गई है,,,,नैना अपने ही घर में फांस चुकी थी,,,,उससे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था,,,की वो करे तो करे क्या,,,,तो उसने वहीं किया जो कोई भी घबराया इंसान कर सकता था,,,,वो तेजी से अपने बेडरूम की तरफ भागी,,,,और कमरे को लॉक कर के बेड पे बैठ गई,,,,नैना ने सोचा अपने दोस्त अश्विन को कॉल करके बुला ले,,,,ये सोच कर वो अपना मोबाइल ढूंढने लगी पूरे बिस्तर में पिलों के नीचे,,,,भी ढूंढा पर कहीं नहीं मिला,,,,

फिर सोचती है की मैंने अपना मोबाइल कहा रख दिया,,,,सोचने पर याद आता है,,,,की उसने मोबाइल किचन में ही छोड़ दिया है,,,,वो कहते है ना जब मुसीबत आती है तो चारों तरफ से एक साथ आती है,,,,उसका दिल इतनी तेज धड़क रहा था,,,,की उसे अपनी धड़कन साफ साफ सुनाई दे रही थी,,,,उसने अपने चेहरे से पसीना पोंछा और घुटने में अपना मुंह छिपाए,,,,अंदर ही अंदर भगवान को याद करने लगी,,,,शायद एक ही मिनट बीता होंगा की बेडरूम के दरवाज़े पे एक बार फिर दस्तक हुई,,,,,

To be continue…..


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