दान
दान
रतन प्रतिदिन सड़क से आता जाता हुआ दो व्यक्तियों को देखता था ! पहला एक बहुत ही दुर्बल एवं असहाय जबकि दूसरा व्यक्ति जवान एवं शक्तिशाली था ! दोनों का कार्य सड़क किनारे बैठ कर भीख मांगना था ! पहला व्यक्ति सड़क के किनारे बैठा रहता और किसी से कुछ नहीं मांगता था लेकिन रतन उसको प्रतिदिन देखता था उसी से कुछ कदमों की दूरी पर दूसरा व्यक्ति भी भीख मांगता था ! वह आने जाने वालों से विभिन्न प्रकार के मांगने के अंदाज से वह व्यक्ति प्रतिदिन अच्छी कमाई कर लेता था और इधर वह दुर्बल व्यक्ति एक समय के खाने के लिए भी मोहताज था !
आखिरकार रतन ने फैसला किया कि वह दोनों से बातचीत करेगा इस प्रकार सबसे पहले दुर्बल व्यक्ति के पास गया और उसके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि एक समय जब उसका शरीर स्वस्थ था उसने मेहनत मजदूरी की और अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण किया ! आज वृद्धावस्था में उसी परिवार ने उसका त्याग कर दिया इससे दुखी होकर वह किसी से मांगने में लज्जा महसूस करता था ! उसी तरह दूसरा व्यक्ति से बातचीत करने के पश्चात पता चला की उसने यह व्यवसाय बना रखा है तब रतन ने महसूस किया कि आप दान देने वालों से भी उनकी राय समझनी चाहिए !
आखिरकार उसने दस व्यक्तियों से जो कि उस शक्तिशाली आदमी से द्रवित हो उसको दान दे रहे थे उनसे बातचीत किया तो अधिकतर की राय यही थी की वह बहुत दुखी है और ऐसा असहाय है उसके वाणी में बहुत ही निराशा है ! अतः उसको पैसे की अधिक आवश्यकता है जबकि वह दुर्बल व्यक्ति किसी से कुछ नहीं मांगता उसको कुछ की आवश्यकता नहीं है !
रतन इस निष्कर्ष पर पहुंचा की संसार दिखावटी पन पर ही चल रहा है अतः आदमी को दान देने से पहले सोचना समझना एवं आवश्यकता के अनुसार ही दान देना चाहिए !
