Corruption -ः तूू ना गई मेरे देश से
Corruption -ः तूू ना गई मेरे देश से
भ्रष्टाचार यह एक व्यापक बात है जो भारत में लंबे समय से प्रचलित है। खबरों के अनुसार भ्रष्टाचार तब शुरू हुआ जब ब्रिटिश ने भारत में पुलिस व्यवस्था की शुरुआत की। चूंकि पुलिसकर्मी का वेतन कम होता था, लेकिन उनके पास बहुत सारी शक्तियां थीं और यह उन्हें किसी भी काम के लिए जनता से रिश्वत की मांग कराता था, और जल्द ही यह आदत सभी सरकारी संप्रदायों में भी प्रचलित हो गई। हालाँकि यह एक दंडनीय कार्य है लेकिन फिर भी इसका अभ्यास किया जाता है क्योंकि पुलिसकर्मी और कई उच्च अधिकारी स्वयं भ्रष्ट होते हैं। भ्रष्टाचार ने भारत के गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। मेरी राय में यह हमारी गलती है कि हम सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देते हैं। अगर हम उन्हें रिश्वत नहीं देंगे तो वे बिना पैसे लिए उचित और सही समय पर काम करने को मजबूर होंगे। मुझे नहीं पता कि यह भ्रष्टाचार कब समाप्त होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि जब तक भ्रष्टाचार हमारे देश में है, तब तक हमारा देश एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकेगा और इसके लिए केवल वे भ्रष्ट अधिकारी ही नहीं, बल्कि हम सभी भी जिम्मेदार होंगे । एक रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार किसी व्यक्ति के लिए ₹1 भेजती है तो उसके पास केवल 15 पैसे पहुंचते हैं और बाकी के पैसे भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा ले लिए जाते हैं। अधिकारियों के साथ, नेता भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। आइए, हम अफसरों को काला धन देना बंद करें, अगर अभी नहीं तो कब?
