STORYMIRROR

NIKHIL KUMAR

Children Stories

3  

NIKHIL KUMAR

Children Stories

चालाक बडकल बब्बू

चालाक बडकल बब्बू

7 mins
353

प्राचीन समय की बात है एक गाँव में एक बालक रहता था। उसकी उम्र कुछ नौ या दस वर्ष की थी। उसके परिवार में उसके माँ, बाप के अलावा उसकी दादी भी रहती थी। वह बालक अपने पूरे दिन एक बड़ा हिस्सा अपनी दादी के साथ व्यतीत करता था। बालक का नाम सुरजन जो उसकी दादी की वजह से मिला था किन्तु गाँव में बडकल बब्बू के नाम से प्रसिद्ध था। वह अपनी पिताजी की नज़रों में बहुत ही नटखट और शैतान प्रवृत्ति का था। उसके पिताजी जब भी कोई काम देते तो चंचल स्वभाव के कारण वह ठीक तरीके से नहीं करता था। इस वजह से उसके पिता को हमेशा ये लगता था की ये मंदबुद्धि है। वह हमेशा ही अपने पिता के डांट और पिटाई से बचने की कोशिश करता रहता और इसके लिए वो कई सारे तरकीब लगाता  परन्तु पिताजी के सामने एक भी नहीं चलती थी।

एक बार एक घटना बडकल बब्बू साथ घटी जो उसके परिवार और पूरे गाँव में प्रसिद्ध हो गया। बात उस समय की है जब विद्यालय की गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थी। गर्मी की छुट्टियाँ अंतिम चरम में पहुँच चुकी थी और गर्मी भी अपने चरम सीमा पर थी। दोपहर का समय था बडकल बब्बू घर पर शैतानियाँ कर रहा था जो उसके पिता को रास नहीं आ रही थी इस लिए वो गुस्से से बडकल बब्बू को खेत में लगे फसल की रखवाली करने को भेज दिया। उस समय गाँव में घूम रहे नीलगायों का आतंक मचा हुआ था उपर से चिड़ियों का समूह भी फसल को नुकसान पहुँचाती थी। बडकल बब्बू पिता जी बातें सुन कर वह खेत की तरफ चल दिया। अभी कुछ दूर जाते ही उसके दोस्त मिल गये। दोस्तों ने पूछा – “कहाँ चले हमारे बडकल बब्बू ?” उसने शायरना अंदाज़ में बोला “अबकी बारी, खेत की रखवारी, हमारी जिम्मेदारी। ” सारे दोस्त ठहाका लगा कर हँस पड़े। तभी एक दोस्त ने आग्रह किया की थोड़ी देर हमारे साथ खेल ले फिर वह खेत में चला जायेगा उसकी देख रेख के लिए। बडकल तो एक बार में ही मान गया। बडकल अपने दोस्तों के साथ खेल में मग्न हो चुका था जिससे समय का पता नहीं चला और शाम हो गयी। अब बडकल को खेत की याद आई। फिर वह फ़ौरन खेत की तरफ दौड़ा। जब वह खेत में पहुंचा तो जो नज़ारा देखा उसे देख कर दंग रह गया। खेत में कई सारे जानवर अपनी पेट-पूजा कर रहे थे। वो फसल को बर्बाद देख कर घबरा गया। वह सोचने लगा अब तो पिता जी के कोप से शायद ही कोई बचा सकता है। फिर क्या वो डर की वजह से उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। वह अपने पिता जी से बचने के लिए जंगल की तरफ निकल गया।

जंगल की तरफ जाते वक्त उसको एक घोसला दिखा जिस छोटे छोटे चूजे जो अभी उड़ना सिख रहे थे उनको उड़ना आता तो था परन्तु उसमे माहिर नहीं थे। बडकल के पास एक रुमाल था जिसमे चूजे को लपेटकर अपने पास में रख लिया और फिर चलने लगा। जंगल में चलते चलते थकने लगा और आखिरकार थक हार कर वह एक नीचे गिरे विशालकाय वृक्ष पर बैठकर आराम करने लगा।

इधर उसके पिता जी खेत को देखने के लिए गये तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी। वो आग बबूला हो कर बडकल बब्बू को ढूँढने लगे नहीं मिलने पर उन्हें ये लगा की वह घर पर भाग आया होगा परन्तु जब घर पर पहुँच कर खोजने लगे तो उन्हें घर पर भी कही नहीं मिला। पिता जी हाथ पैर मारकर बैठ गये और उसका इंतज़ार करने लगे। उस समय गाँव में घर की दीवारें तो होती थी लेकिन लोगो के बीच दीवारें नहीं होती थी। इस लिए कोई भी बच्चा किसी के घर पर कभी भी चला जाता कोई रोक टोक नहीं होती थी। उसके पिता जी ने भी सोचा की वह कही न कही तो छिपा होगा। कभी न कभी तो घर पर आयेगा फिर उसकी खैर नहीं ।

बडकल बब्बू वृक्ष पर आराम करते करते उसकी आँख लग गयी। कुछ समय पश्चात् वृक्ष हिलने लगा। बडकल बब्बू को ऐसा लगा जैसे की भूकंप आ गया हो। बडकल आव देखा न ताव वृक्ष से कूद कर थोड़ी दूर पर जा कर खड़ा हो गया। उसने देखा की वह पेड़ हिल रहा हैं। उसने ध्यान से देखा था तो वह एक विशालकाय भयानक डरावना राक्षस था। वह राक्षस जैसे ही बडकल की तरफ दौड़ा बडकल ने बोला –“ रुको अगर तुम मुझे मारकर खाना चाहते हो तो पहले तुम्हें मुझे हराना पड़ेगा। हम दोनों में जो ज्यादा बुद्धिमान और ताकतवर होगा वही जीतेगा। दानव सोचने लगा ये तो छोटा सा बालक है, ये मुझसे क्या जीतेगा। दानव इतना सोच कर हाँ बोल दिया। बडकल बब्बू ने पूछा "तुम जीत गये तो मुझे खा जाओगे लेकिन मैं जीत गया तो मैं क्या करूँगा ?"

दानव कुछ देर सोचने लगा फिर बोला कि" तुम्ही बताओ क्या करोगे ? "

तब बडकल ने बोला की "अगर मैं जीत गया तो पूरे जीवन भर मेरे ग़ुलाम बन कर रहोगे जो मैं कहूँगा वो तुम्हें करना पड़ेगा।"

राक्षस ने सोचा ये तो जीतेगा ही नहीं हाँ बोलने में क्या जाता हैं। फिर राक्षस ने हाँ बोल दिया और पूछा बताओ क्या करना है।

फिर क्या अब बडकल बब्बू ने अपना दिमाग के तार खोल कर जाल फ़ैलाने लगा जिसमे ये राक्षस आसानी से फँस जाये। बडकल बब्बू ने बोला की हम दोनों एक पत्थर फेकेंगे जिसका पत्थर सबसे दूर गिरेगा वो जीत जायेगा। राक्षस ने तुरंत का बड़ा से भरी भरकम पत्थर उठाया और फेंक दिया। पत्थर करीब बीस से तीस मीटर दूर जा गिरा। अब बारी बडकल बब्बू की थी। उसने तुरंत अपनी रुमाल में चूजे को निकला और झटके से फेंक दिया। चूजा थोड़ी दूर गया और नीचे गिरने लगा लेकिन चूजा फिर उसने की कोशिश करने लगा और ज़मीन पर गिरने से पहले चूजा अपने आप को सम्भाल लिया और उड़ने लगा। राक्षस को चूजा पत्थर ही लग रहा था। राक्षस और बडकल बब्बू तब तक उसे देखते रहे जब तक वह आँख से ओंझल न हो गयी। इस बार बडकल बब्बू जीत गया। अब बारी अगले पड़ाव की तरफ थी। अब बडकल बब्बू ने अपने पास रखे रुमाल को दो टुकड़े में फाड़ दिया और एक टुकड़ा राक्षस को दे दिया और बोला की इसे हम दोनों हवा में फेकेंगे जिसका टुकड़ा उपर जायेगा वो जीत जायेगा। राक्षस ने झट से रुमाल को मोड़ कर छोटा किया और फेंक दिया। रुमाल को छोटा मोड़कर फेंकने से उम्मीद से ज्यादा उपर तो चला गया लेकिन बडकल बब्बू भी कम नहीं था। राक्षस शेर था तो बडकल बब्बू सवा शेर। बडकल बब्बू ने झट से एक कंकड़ को रुमाल में बांध दिया और फिर उसे फेंक दिया जिससे वो बहुत ज्यादा ऊपर चला गया और इस बार फिर बडकल बब्बू जीत गया। राक्षस तो परेशान होने लगा और बोला की अब अगली चुनौती मेरी तरफ से होगी। बडकल डर गया लेकिन फिर कुछ सोच समझ कर हाँ बोल दिया। राक्षस ने एक पेड़ उखाड़ा और बोला एक छोर पर मैं और दूसरी छोर पर तुम पकड़ लोगे और हम दोनों इससे लेकर चलेंगे जो सबसे पहले थक जायेगा उसकी हार मानी जाएगी। बडकल बब्बू ने डरते हुए हाँ बोल दिया। राक्षस मन ही मन बहुत खुश हुआ। राक्षस जड़ वाली तरफ गये और उठाकर अपनी पीठ पर रख लिया और बडकल को दूसरी तरफ जा कर तुम उठा लो और चलो। बडकल धीरे-धीरे सोचते-सोचते दूसरी तरफ जाने लगा। जब दूसरी तरफ पहुंचा तो वह एक छोटी से डाली पकड़ लिया और राक्षस को बोला चलो। कुछ दूर चलने के बाद राक्षस थकने लगा क्योंकि पेड़ का पूरा भर राक्षस के कंधों पर था और बडकल बब्बू तो बस एक छोटी सी डाली पकड़े हुए मजे में चलने लगा। जब राक्षस पीछे देखता तो बडकल बब्बू इस तरफ मुँह बनाता जैसे वो कितना भारी पेड़ ले कर चल रहा है। आखिरकार कुछ दूर चलने के बाद राक्षस पूरी तरह से थक कर चूर हो गया और अंततः अपनी हार स्वीकार कर ली। बडकल बब्बू अब उसका मालिक हो गया। अब बडकल बब्बू उसके कंधों पर बैठकर गाँव की तरफ चलने लगा। गाँव में सब उसे देखकर कर भौचक्के रह गये । 


Rate this content
Log in