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Ekta Kashmire

Children Stories

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Ekta Kashmire

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भोर आई...गया अंधियारा!

भोर आई...गया अंधियारा!

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वन में सरोवर के किनारे बैठी मधुलिका कमल के फूलों को निहार रही थी।जिनके ऊपर भंवरे डोल रहे थे।

वह सोच रही थी कि उससे अच्छी किस्मत तो इन कमल के फूलों की है, जिनके प्रति अनगिनत भंवरे प्रेम प्रदर्शित कर रहे हैं।और एक वह है जिसे अभी तक प्रेम करने वाला कोई नहीं मिला।

सारी सखियां ब्याह कर अपने पिया के घर जा चुकीं थीं।

मधुलिका के मातापिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी उसे उसके मामा ने पाला था।मामा जितना लाड़ करते, मामी उतनी ही नफ़रत!

इसी नफ़रत के चलते अब तक मधुलिका का ब्याह नहीं हो पाया था।क्योंकि जो भी लड़के वाले आते, तगड़े दहेज की मांग करते।मामी देने से मुकर जाती और ब्याह पक्का ना हो पाता।जबकि मधुलिका के पिता की पूरी संपत्ति उसकी मामी के संरक्षण में थी।

एक दिन सरोवर के किनारे बैठी मधुलिका से अचानक एक राजकुमार ने पानी मांगा।उसने झट से अपनी गगरी के जल से उसकी प्यास बुझाई।उसकी हिरनी सी गहरी काली आंखों में राजकुमार डूब सा गया। तंद्रा टूटी तो मधुलिका जा चुकी थी।

राजकुमार ने उसे ढूंढ़ निकाला और शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे मामा मामी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

अच्छा सा संयोग देखकर उनका विवाह संपन्न हुआ।

सुबह मधुलिका अपनी सेज पर बैठी झरोंखे से उसी सरोवर में उगे उन कमल दलों को निहार रही थी,जो बीती रात ही फूले थे।


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