भोजपुरी लघुकथा "दादी "

भोजपुरी लघुकथा "दादी "

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प्रगति भिनहे 9वे बजे खानि ऑफ़िस जाये खतिरा तईयाआर होके अपना ( ददिया सासू )के पाँव धर के आशीर्वाद लेवे खातिर गुलामगर्दा की ओरी बढ़ते हई की एतने में रीना चाची आ गैली। रीना चाची के आउर कौनों काम त हौवे नाही उनकर एके गो काम बा उ की एकोराहे से सजो गांव भर के सास और पतोहियन के कूचुराई कैल। आजुओ उहे करें आइल होईहे दूसरों कौनो उनकर काम बा का ? दादी से गप्प मरीहे त चाय खाना पानी पाइए जईहे । प्रगति के ऑफिस के लेट होखत रहे एकरे चलते प्रगति अपने दादी के पाँव छू के ओकरा बाद रीना चाची के पाँव छूअले के बाद में...

दादी से कहली "दादी हम चलत हई आँफिस के लेट हो जाई, रहिया  में ट्रफिक भी जाम मिलेला न, ई कहिके प्रगति अपना स्कूटी से फटाफट चलि दिहली " दादी की लगे रुक के समय ना रहे ओह बेरा। बस इतने मौका मिल गैल रीना चाची के मन में झगड़ा लगावे के विचार बना लिहली।अबे प्रगति दा कदम गइल होखिहे। कि तपाक देना बोलत हई रीना चाची दादी से " देखी ना ए अम्मा जी कैसन बिया रउरे नतिनपतोहिया तनिको रउरे लगे ठीठकलस ह नाही सरसरावत स्कूटी लेके निकल गईली हुवे बताई ना हैसनों नतीन पतोही होली का ?"दादी चुपचाप सुनि लिहली कुछ ना कहली जब रीना चाची के लगल की दादी के प्रगति पर खिस नईखे होत त फेरू दूसर व्यंग्य बाण फेकली। "जानत बानी अम्मा जी प्रगति के दोष नैखे ई सब दोष आजू कल के रहन सहन के दोष बा रउरे बताई जौंन पतोही जींस पहिर के स्कूटी से शहरी में जाई उ का ?दादी दूदी के लगे लगे बैठी अरु सेवा सत्कार करी। अब दादी के सहन शक्ति के बनधा टूटी गैल दादी चिल्ला के कहली "चुप रहूं ना री रीनवा तोरी एही कुचुरैया के कारण तोर पातोही तोहे छोड़ के दूर शहरी में जाके बस गैल बीया, प्रगति के आँफिस के लेट होत रहल त जल्दी चल गैली ह ओके ते इतना बड़ा इसू बनावत बाड़े। तबो तोर हमार पाँव छू के ही गैली ह खबरदार जो ते हमरे प्रगति बहू के विषय में कुछ कहले ते कौन होले रे बोलेवाली? प्रगति हमरा घर के पतोही हई त हमके त बुरा ना ..

लागेला उनकर जींस पेन्हल, काहे की उनका ऑफ़िस के सगरो मेहरारू पहिरेली कुल। आ रहल बात स्कूटी से ड्यूटी गैला के त उहो कउनो बाउर ना बा काहे की सवारी के का ? भरोसा कबो मिली केबो ना मिली आ आँफिस त रोजीना टाइम से जायके बा ना? ए खातिर स्कूटी बहुत अच्छा बा आरे आपन साधन अपने होला। 

अउर सुन ...

क़बो कबो केहू घरे ना होला त हम ढेर बीमार हो जाली त हमार प्रगति बेटा अपने स्कुटिए से ना हमके डाक्टर के पास दिखावे लेह के जाली चाहे जाके दवाई ले आवेली। त कैसे हम बाऊर मानी स्कूटी चलावला के। दादी कहली दूर होजो हमरे नजरी से आइल बाड़े हमरे घर में फूट डाले ते भागि ईहा से कमीनी कहीं के। दादी के हाई पावर होते देख रीना चाची मुंह नियन मुंह लेके भाग खड़ा भइली तुरत नौ दो ग्यारह हो गैली ।



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