"अनोखा गिफ्ट"
"अनोखा गिफ्ट"
गोलू अपने घर का सबसे शरारती बालक है। और उससे बड़ी उसकी एक बहन है। दोनों बहुत प्यार से रहते हैं। मगर गोलू से घर के सब परेशान रहते हैं। ये गुस्से में कुछ ऐसी शरारत करता है। जैसे- गाय के बछड़े को खोल देता है। सारा दूध उसी को पिला देता है। घर में सोते हुए लोगों को जगाकर भाग जाता है और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर चढ़ता फिरता है। पड़ोस में भी इसकी इन्हीं नटखट शरारतों से सब परेशान तो रहते हैं मगर सब प्यार भी बहुत करते हैं। शरारत तो करता है पर किसी का दिल नहीं दुखाता है। एक दिन उसकी मम्मी जी दोनों बच्चों से बोलीं आज फ़िल्म देखने चलें? बच्चे तो अब सबसे ज्यादा खुश। समझो उन्हीं जैसे अपनी मनपसंद चीज मिल गयी हो। इस समय घर में गोलू और गोलू की दीदी और मम्मी जी हैं और उनके पापा जी बाहर जॉब पर गए हुए हैं। गोलू उस बारह वर्ष का है और उसकी दीदी सोलह वर्ष की। अब मम्मी उन्हें लेकर फ़िल्म दिखाने ले जातीं हैं। गोलू की शरारत फिर से शुरू रास्ते में ही सवाल करने शुरू! मम्मी जी, कौन सी फ़िल्म दिखाने ले जा रही हो? क्या नाम है? कौन से हीरो की है ? कौन सी हीरोइन है? मतलब सब सवाल यहीं कर लिए। उसकी मम्मी बोलीं अब चुप भी हो जा। वहीं जाकर देख लेना सब। वहीं बता दूंगी। क्योंकि उसकी मम्मी गाड़ी चला रहीं थीं और उसकी बात भी सुन रहीं थीं। अब उन्होंने गोलू को पीछे वाली सीट पर बैठने को बोल दिया और कहा अपनी दीदी से सवाल करता रह। अब गोलू, दीदी के पास जाकर उनको भी परेशान करने लगा। बोला! दिखाना आपके पर्स में क्या है? और ये दो चुटिया क्यों बनायीं हैं एक मेरे लिए भी बना लेती मेरी दीदी जी। अब इसकी दीदी भी परेशान होने लगीं। मम्मी देखो मुझे परेशान कर रहा है। मम्मी ने गाड़ी एक तरफ लगाई और बोली तू आगे आ जा। गोलू शांत होकर जैसे कुछ जानता ना हो। जो आज्ञा माता जी। मम्मी जी हंस भी रहीं और कह रहीं ओ मेरे भगवान आओ आगे बैठो। जो आज्ञा माते। फ़िल्म देखने पहुंच गए। पोस्टर लग रहा था। पैडमैन का। गोलू फिर शुरू। मम्मी बोलीं अब चुप रह। फ़िल्म में ही देख लेना। समझ आ जायेगा। उसकी मम्मी जी तीन सीट लीं। जो एक कौन में थीं। अब गोलू- मैं तो इधर बैठूंगा।
मम्मी जी ने और दीदी ने उसे बीच में बैठाया। ताकि कोई शरारत ना करें।
फ़िल्म देख ली। सब खुश। अब कुछ दिन बाद उसकी दीदी का जन्मदिन आने वाला था। अब शैतान गोलू सोचने लगा क्या गिफ्ट दूँ? क्या गिफ्ट दूँ? फिर गोलू के मन में आया। वो जो अभी फ़िल्म देखी थी। उसमें बताया था। लड़कियों और महिलाओं को सबसे ज्यादा जरूरत इन पैडों की होती है। ये ही सही रहेगा। गोलू तभी अपने अपने सारे बचे हुए पैसे लेकर दुकान पर पहुँच गया। बोला! अंकल जी वो दे दो पैड। दुकानदार ने गोलू की तरफ देखा। बोला अरे दुबारा बताना। बोला हां अंकल जी वही पैड दे दो। दुकानदार इसलिए दोबारा पूछा क्योंकि गोलू तो घर का ऐसा समान कभी लेता ही नहीं था। वो तो अपनी दुनिया में बिंदास और अपने ही मतलब की चीज ही लेता था। ठीक है गोलू बेटा ये लो। अरे अंकल जी इनको अच्छी तरफ पैक कर दो। जन्मदिन के गिफ्ट के भी लिख देना है। बोले ठीक है। लो कर दिया। गोलू पैसे देकर दीदी के लिए गिफ्ट ले आया। अब जन्मदिन आया सभी ने अपने-अपने गिफ्ट दिए। दीदी बोली अरे ओ गोलू तू नहीं लाया मेरे लिए गिफ्ट। बोला लाया हूँ दीदी। देखना मेरा गिफ्ट सबसे अलग ही होगा। अरे वो तो जैसे तू हरकतें करता है अनोखी वैसा ही लाया होगा। अब जन्मदिन खत्म हुआ। गोलू की दीदी ने सभी गिफ्ट एक कमरे में रखे। फिर एक-एक कर खोलकर देखने लगीं। सबसे पहले उसने अपने शरारती का ही गिफ्ट खोला। जैसे ही गोलू का गिफ्ट देखा तो उसके खुशी के मारे आंसू निकल आये। और वह उस गिफ्ट को गले लगाकर रोई। फिर गोलू के पास गई। मगर गोलू जब तक सो चुका था। वह सोते हुए ही उसका माथा चूमकर आ गयी। और मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। फिर सुबह ही गोलू पूछने लगा अरे दीदी मेरा वाला गिफ्ट कैसा लगा। अरे नटखट तू तो बहुत समझदार है। हम सब तो तुझे वैसे ही इतना नटखट कहते हैं। दीदी वो मम्मी जी ने फ़िल्म दिखाई। वहां से सीख मिली। तो ये आपका शरारती ये शरारत भरा गिफ्ट ले आया। अरे पागल तू मेरा सबसे प्यारा भाई है। और उन सब गिफ्टों में तेरा गिफ्ट सबसे अनोखा और कभी ना भूलने वाला है। फिर उसकी दीदी ने उसके गिफ्ट के बारे में मम्मी जी को बताया। मम्मी जी भी बहुत खुश हुईं और फिर उसकी मम्मी जी और दीदी ने गोलू को उस गिफ्ट के उपयोग के बारे में सही से बताया। और उसे खूब सारी चॉकलेट लाकर दीं। फिर उसे बाहर पार्क में घुमाने लेकर गयीं।