अमीर आदमी...
अमीर आदमी...
. एक प्रेरणादायक कहानी....
एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र में अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।
छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तूफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र में कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नहीं था। टापू के चारों और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिंदगी में किसी का कभी भी बुरा नहीं किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?
उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड़-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।
अब धीरे-धीरे उसकी श्रद्धा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया। उसको लगा कि इस दुनिया में भगवान है ही नहीं । फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोंपड़ी बना लूँ ......?
फिर उसने झाड़ की डालियों और पत्तों से एक छोटी सी झोंपड़ी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोंपड़ी में सोने को मिलेगा आज से बाहर नहीं सोना पड़ेगा । रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोंपड़ी पर आ गिरी और झोंपड़ी धधकते हुए जलने लगी।
यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नहीं , राक्षस है। तुझ में दया जैसा कुछ है ही नहीं तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुम्हें बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू में जलता हुआ झोपड़ा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत में है।
अगर तुम अपनी झोंपड़ी नहीं जलाते तो हमें पता नहीं चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखों से आँसू गिरने लगे।
उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोंपड़ी जलाई थी.
दिन चाहे सुख के हों या दुख के, हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए!! कर्तव्य पथ पर एक विश्वास और ऊर्जा के साथ बढ़ते रहे
हालात बुरे हुए तो क्या हुआ
हम भी अपनी जिद पर अड़े है..!!
सपने बड़े हुए तो क्या हुआ
हम सपनों के पीछे
हाथ धोकर पड़े है..!!
