आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
परसो हमारी खेल प्रतियोगिता हैं। इसलिए हम सब अपना नाम लिखवाने के लिए कतार में खड़े थे। जिस खेल का नाम लिया जाता था। उस खेल के इच्छुक लोग हाथ खड़े करते थे। और जया दीदी उनमें से किसी तीन का चयन करती थी। अब बारी आई लंबी कूद की इसमें कोई अच्छा खिलाड़ी नहीं था। इसलिए दो लड़कियों ने ही हाथ खड़े किए एक की कमी थी। मुझे थोड़ा बहुत आता था इसलिए मैंने थोड़ी हिम्मत करके हाथ खड़ा किया। मेरे पीछे मेरी कई सहेलियों ने हाथ खड़े किए। पर सबसे पहले मैंने हाथ खड़ा किया था इसलिए मेरा नाम लिखा गया।
दूसरे दिन सुबह में हॉस्टल से बहार जा रही थी। उसी वक्त। मैंने दो तीन लड़कियों को दीदी से बात करते हुए सुना की लोग जंप में जैनी की जगह अंकिता का नाम डाल दो वह बहुत ही अच्छा खेलती है। मुझे थोड़ा बुरा लगा। उस वक्त मुझे पहेली बार अंकिता और मुझे कंपेयर किया गया। क्योंकि हम दोनों की जोड़ी दोस्ती के लिए पूरी स्कूल में मशहूर थी। हम दोनों साथ में ही प्रैक्टिस करते थे इसलिए खेल में हम दोनों लगभग सेम थे। दिन भर तक मैंने इस बार में सोचा रात को भी नींद नहीं आई। फिर मैंने नक्की किया कल सुबह में खुद दीदी के पास जाकर अपना नाम निकलवा कर अंकिता का लिखवा दूंगी। ऐसा सोच के सो गई।
तीसरे दिन सुबह पांच बजे अचानक मुझे वोमेटिंग होने लगी। अंकिता उठ के मेरे पास आई और पानी पिलाया। फिर हम तैयार होने लगे मैंने सोचा तैयार हो के दीदी के पास जाऊंगी। पर उसी दिन में स्कूल जाने के लिए लेट हो गयी इसलिए सोचा स्कूल से आ के बता दूंगी। मैंने कुछ उलटा पलटा खा लिया होगा इसलिए स्कूल से आते वक्त फिर से वोमिटिंग हुई। अब प्रतियोगिता को सिर्फ तीन घंटे बचे थे। मैं नाम बदलवाने के लिए गई पर दीदी ने कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता नाम वही रहेंगे। मैं रोने लगी। अंकिता को सब कुछ बताया। उसने बोला तू मेरे साथ खेलती है। दूसरों को क्या पता होगा की तू कैसा खेलती है। देखना तू बहुत अच्छा खेल के आएगी इसके एक वाक्य से मुझे बहुत ज्यादा हिम्मत मिली जब सौ हिम्मत तोड़ने वालों के बीच एक हिम्मत देने वाला मिल जाए तो हिम्मत सो गुनी बढ़ जाती है।
मैं अभी प्रतियोगिता के मैदान में खड़ी थी। मैंने थोड़ा डर के पहला जंप मारा। और मेम ने पहली बार मेरी इतनी तारीफ की और बाकी लड़कियों ने भी मेरे लिए बहुत तालियाँ बजाई मेरे लिए यह किसी सपने से कम नहीं था। जल्द ही परिणाम आ गया मेरा तीसरा क्रमांक आया पर मैं पहले क्रमांक वाले से भी ज्यादा खुश थी। सबसे ज्यादा खुश उनको देख के थी। जो कल तक मेरी बुराई कर रहे थे। और आज मेरे लिए तालियाँ बजा रहे थे।
मैंने इस तीन दिन में बहुत कुछ सिखा । अगर खुद पे विश्वास हो तो चूहा भी शेर बन सकता है।
