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सोमेशकुलकर्णी वृद्धाश्रम विदा होते बेटे रोतीहै कुलों की शान ईमानदारी वरदान सपनें प्राणायाम काम असलीयत मानसम्मान रिश्ते झूटेगर्वमेंडूबेकीतोगर्तबनतीहै।अहंसेदूररहकरहीअहमियतबनतीहै।निशानंदिनी कहीकिसीरोज बनेजिससेतकदीरदेशकीमैंऐसीखुद्दारीलिखतीहूँ। लघुकथा श्वेत कुमार सिन्हा सुरभित ओलंपिक

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