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कितना नहीं बल्कि कैसे जिए
विश्वासवरुण
बनाता है
प्रेमहिईश्वरहै
सत्कर्म का उचित समय
बढ़ती जा रही
बेशुमार
कैसी
अब इस वक़्त भी
एकदिनमौज-मस्तीकरलेंवक्तकेबहावमेंमनकीकरलेइसबहतेहुएपड़ावपरथामलेपरिवारकेअनमोलसाथकोपलभरकेलिएउनकेलिएजीले
आँखें
चार दिन की चाँदनी
पहचान का मर्म
को कैसे भी
मिलकर विचार
मंज़िल
कर्मभूमिपरफलकेलिए
हमारी पहचान
कब कहां कैसे किससे होंता पता न
पाना है
Hindi
कैसे-कैसे
Quotes
मंगलवार: यारों ईश्वर कैसे रिश्ते बनाता है, कभी अपना रूलाया ...
सब मिल करके करो विचार। जंगल बिन कैसे निस्तार।। ...
वाणी का वार ,करता ह्रदय तार-तार। ज़ख्म दिखते नहीं, पर छलनी हो ...
बुधवार: पहले बेपनाह बेशुमार प्यार था, भाई-बहन का रिश्ता अनमो ...
इस दुनिया में हमारी पहचान, आयु न होकर हों हमारे कर्म। कितना ...
हर किसी पर आँख मूंद कर विश्वास करना उचित नहीं है।
बुधवार: हम सब मुसाफ़िर सफ़र करते, मंज़िल को कैसे भी पाना होग ...
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