आज कलयुग सुहाना कलयुग में लब चूमके गुज़रा नसीब श्रावण होंठ न सिर्फ़ तपता गाँधीजी कुछभीनबदलाहैदुनियामेंहमारी-तुम्हारी रिश्तेदार नारी तकनीकी प्राणी हकीक़त स्पर्षतुम्हारे रखता है अमीर पाते नाता

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