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यूं कि मुश्किल बहुत है फिर भी क्या हर्ज है कि अगर हम किसी को सम्पूर्ण रूप से आत्मसात करने में असमर्थ पाते हैं तो बेहतर है उसी में खुद को आत्मसात कर लें....
लेकिन यह बात कहने में जितनी सरल है अपनाने में उतनी ही मुश्किल भी है। किसी भी चीज को आत्मसात कर लेना निहायत ही मुश्किल भरा काम होता है क्योंकि इसमें अपने हर अस्तित्व के विलयन की प्रक्रिया का आरंभन और समापन करना होता है....✍️
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