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यश-अपयश...
यश-अपयश की करें...
यश-अपयश की...
“
यश-अपयश की करें न चिंता,
हम सदा करते रहें शुभ कर्म।
अधर्म पीड़ादायक कर्म हैं होते,
सुखदायक कर्म होते हैं धर्म।
@ डी पी सिंह कुशवाहा @
”
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