Dhan Pati Singh Kushwaha
Literary General
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TEACHER IN DIRECTORATE OF EDUCATION, NATIONAL CAPITAL TERRITORY OF DELHI

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असीमित इच्छाओं की ऊंची उड़ान से, अक्सर गड़बड़ाई चैन और खुशी गाड़ी। फंस जाते हैं बहुत ही बुरी तरह जब हम, तब जान पाते मारी निज पांव में कुल्हाड़ी।

असीमित इच्छाओं की ऊंची उड़ान से, अक्सर गड़बड़ाई चैन और खुशी गाड़ी। फंस जाते हैं बहुत ही बुरी तरह जब हम, तब जान पाते मारी निज पांव में कुल्हाड़ी।

मन में रखकर के दृढ़ निश्चय, सतत् ही हम पूरा करें प्रयास। सदा पथिक बनें सन्मार्ग के, रख निज-प्रभु पर विश्वास। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

समता और समभाव के संग, सामाजिक समरसता का मंत्र। विविध आस्था परम्पराओं संग, रहे अंतर्मन में सशक्त गणतंत्र। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

स्मृत ये रखें सब सदा जगत में, सोच समझकर करना है काम। व्यर्थ न हो समय अति चिंतन में, नियोजन धैर्य का सुखद परिणाम।

शुभ लक्ष्य न चूके हमारा, इसे ध्यान कह लें चाहें डर। सजगता धीरज संग नियोजन, आजीवन रखेंगे हमको निडर। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

जीवन में रहे सतत् ही सबके बहार, इसका ही बहाना लाते सारे त्यौहार। आनंद और खुशी का रहे वातावरण, हम सब रखें वही आचरण व्यवहार। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

जीवन में रहे सतत् ही सबके बहार, इसका ही बहाना लाते सारे त्यौहार। आनंद और खुशी का रहे वातावरण, हम सब रखें वही आचरण व्यवहार। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

प्रायः स्व मन: स्थिति से प्रभावित होते हैं, हमारे जीवन सागर में सुख-दुख के भाव। ज्ञान-आलोक में उत्कृष्ट आचरण-व्यवहार, की नौका में रह हर हाल रखें खुशी के भाव। @ डी पी सिंह कुशवाहा @


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