निज मन में हमें सदा रहे हर पल ही अहसास, इस जग में आगमन का कुछ उद्देश्य है खास। स्वार्थ त्याग परहित में रहें अनवरत ही रत हम, अडिग रह सत्पथ पर अथक करते रहें प्रयास। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
आनंद का आधार है हमारी आत्मतुष्टि, संतुष्टि बिन आनंद न देगी संपूर्ण सृष्टि। सत्पथ पर दृढ़ रहें शुभता संजोए दिल में, भरोसा प्रभु पर दृढ़ सुनिश्चित कृपा की वृष्टि। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
लक्ष्य प्राप्ति में यदि है लम्बा इंतजार, संभावित परिणाम भी होगा असरदार। नहीं हों हम अधीर होकर के बेकरार, सीखें परिस्थितियों को करना स्वीकार। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
सत्पथ पर हम होकर निश्चिंत चलें, आनंद ही है शुभ कर्मों को करने में । जब तक जीना है तो फिर ऐसे जिएं, कोई भी ग़म ही न हो हमें मरने में। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
हमेशा यह नहीं संभव हमारी पूरी हो हर चाह, मुश्किलों से घबराकर हम न छोड़ें सत्पथ राह। कारण कुछ भी जो दाग अपयश का लग जाए, कोटिक यत्नों से भी कभी न यह दाग हट पाए। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
जीवन की हर मुश्किल घड़ी में धीरज धरें, परिस्थतियॉं रहती हैं बदलती न चिंता करें। गहनतम निशा के बाद स्वर्णिम उषा आती, दृढ़ रहें सत्पथ पर सकारात्मकता सिखाती। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
ज्यों - ज्यों बढ़ रही हैं जीवन में सुविधाएं, त्यों -त्यों ही बढ़ रही हैं हमारी दुविधाएं। प्रायः किंकर्तव्यविमूढ़ से हो जाते हैं हम, जहॉं ढूंढते हैं खुशियॉं वहॉं मिलता है ग़म। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @
सकारात्मक सोच करती है सबका भला , लाभ भले कम मिले मिला शुभ ही मिला। श्रेष्ठता निकृष्टता पर भारी रहती है सर्वदा, आनंदित रहते सदा कभी न कुछ भी गिला। @ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा @