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यह अहं रखना कि हम ही अच्छा सोचते हैं या करते हैं, व्यर्थ होता है।
सभी नहीं फिर भी कुछ होते हैं, जो हमसे अच्छे विचार एवं काम करते हैं।
ऐसे अच्छे विचार और सिद्धांत निभाने वाले, हमसे बड़े या छोटे और बराबर भी हो सकते हैं।
ये हमसे कम पढ़े लिखे या आर्थिक रूप से कमजोर भी हो सकते हैं।
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