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यदि दगा,...

यदि दगा, छल-कपट एवं हिंसा प्रवृत्ति नहीं बढ़ी होती तो हम नौकरी-व्यवसाय करते हुए भी तनाव रहित सकते थे। हमारे कार्य दिवस सप्ताह में छह नहीं दो हो सकते थे। शेष पाँच दिवस हम आनंद, सुख और जीवन के सार्थक कार्यों में जी रहे होते …. rcmj

By Rajesh Chandrani Madanlal Jain
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